इंस्पेक्टर की हत्या मामले में बाहुबली नेता को उम्रकैद की सजा, 27 साल बाद मिला न्याय, पुलिस की मिली बड़ी कामयाबी
उत्तर प्रदेश। 27 वर्ष पहले यूपी में इंसपेक्टर रामनिवास यादव की हत्या करने वाले बाहुबली को सजा दी गई है। अनुपम दुबे को आखिरकार 27 साल बाद आजीवन कारावास की सजा दी गई है। यूपी पुलिस के मुताबिक चिन्हित माफिया अनुपम दुबे के खिलाफ अब तक 63 मुकदमें दर्ज हैं। साल 1996 में अनुपम दूबे ने थाना जीआरपी फर्रुखाबाद में तैनात इंस्पेक्टर राम निवास यादव की निर्मम हत्या कर दी थी। 14 मई को चलती ट्रेन में इंस्पेक्टर राम निवास यादव की गोली मारकर हत्या की गयी थी। इस मुकदमे की फाइल को 25 साल तक बाहुबली के दबाव में दबाकर रखा गया था। अनुपम दुबे माफिया हिस्ट्रीशीटर है। इसके खिलाफ 1987 में घर में घुसकर गाली गलौज मन करने का मामला दर्ज हुआ था। पड़ोसी जिलों में भी भय और आतंक कायम है। गैंग नंबर डी-47 में गैंग लीडर अनुपम दुबे का नाम पंजीकृत है। कुख्यात अपराधी अनुपम दुबे ने पुलिस इंस्पेक्टर रामनिवास यादव की 14 में 1996 को कानपुर के अनवरगंज के निकट यात्री गाड़ी में गोली मारकर हत्या कर दी थी।
जानकारी के मुताबिक अनुपम दुबे मोहल्ला कसरट्टा का रहने वाला है। अनुपम दूबे ने पहला क्राइम साल 1987 में किया था। तब से यह लगातार 36 वर्षों से अपराध करते हुए फल-फूल रहा था। इलाके के लोग इसके भय के साये में रह रहे थे। बाहुबली अनुपम दूबे के खिलाफ कुल 63 मुकदमें दर्ज हैं। अनुपम दूबे के अपराधिक इतिहास को देखते हुए फतेहगढ़ पुलिस ने शासन के जरिए चिन्हित माफिया भी घोषित कराया था। फतेहगढ़ पुलिस द्वारा इसके विरुद्ध कार्यवाही करते हुए गैंग डी-47 गैंग पंजीकृत कराया गया। इसके गैंग के सभी सदस्यों की हिस्ट्रीशीट खोली जा चुकी है। फतेहगढ़ पुलिस के द्वारा अनुपम दुबे के विरुद्ध एनएसए की कार्यावाही की गयी थी और उस कार्यवाही को उच्चन्यायालय इलाहाबाद की तीन सदस्यीय पीठ ने सही भी माना था। पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक अनुपम दूबे की अपराध से अर्जित सम्पत्ति कुल 113 करोड 18 लाख 13 हजार 497 रुपये की है जो कुर्क की जा चुकी है। दूबे के खिलाफ कार्रवाई करने वालों में मो0 मुस्ताक (तत्कालीन एस0पी0 जीआरपी आगरा), अशोक कुमार मीणा, (तत्कालीन पुलिस अधीक्षक फतेहगढ़), विकास कुमार, पुलिस अधीक्षक फतेहगढ़ और अरविन्द कुमार ढिमरी, ए0डी0जी0सी0 कानपुर का अहम योगदान है।
अनुपम दुबे के खिलाफ 63 मुकदमे दर्ज हैं। उसके खिलाफ पहला मुकदमा वर्ष 1987 में मारपीट का दर्ज हुआ था। उसके बाद जानलेवा हमले का मुकदमा दर्ज कराया गया था। वर्ष 1991 और 1994 में हत्या के दो मुकदमे दर्ज हुए। इसके बाद मुकदमे दर्ज कराए जाते रहे। गिरफ्तारी होने से पहले उनके खिलाफ 41 मुकदमे दर्ज थे। जिनमें गैंगस्टर गुंडा एक्ट एनडीपीएस जैसे शामिल हैं। पुलिस रिकॉर्ड में कानपुर जोन नंबर एक पर माफिया घोषित बसपा नेता अनुपम दुबे के खिलाफ हत्या, अपहरण, रंगदारी और धोखाधड़ी जैसे 63 मुकदमे दर्ज हैं। पुलिस ने उसके खिलाफ कोड नंबर डी-47 के नाम से गैंग पंजीकृत किया था।