बैंक ऑफ बड़ौदा ने घटाई ब्याज दरें, लोन लेने वालों की हुई बल्ले-बल्ले!

बैंक ऑफ बड़ौदा ने घटाई ब्याज दरें, लोन लेने वालों की हुई बल्ले-बल्ले!

नई दिल्ली :  भारत के प्रमुख सरकारी बैंकों में से एक बैंक ऑफ बड़ौदा ने 12 जून, 2025 से अपनी मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (Bank of Baroda MCLR update) में कटौती की घोषणा की। नई दरें MCLR से जुड़े नए और पुराने दोनों तरह के लोन पर लागू होंगी। नए संशोधित दरें गुरुवार 12 जून से लागू हो गई हैं। बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने भी रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट से जुड़े होम, कार, एजुकेशन और रिटेल लोन पर अपनी ब्याज दरों में 50 बेसिस प्वाइंट्स तक की कटौती की है।पिछले सप्ताह भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेप रेट में उम्मीद से ज्यादा 50 बेसिस पॉइंट की कटौती की थी। इतना ही नहीं केंद्रीय बैंक ने बैंकों के लिए कैश रिजर्व रेशियो (Cash Reserve Ratio) को भी 1 फीसदी तक कम किया था। रेपो रेट कम होने से अधिकतर बैंकों ने अपनी ब्याज दरों में संशोधन किया है।

आरबीआई की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने रेपो रेट को 50 बेसिस पॉइंट घटाकर 5.5% कर दिया। साथ ही, CRR को 100 बेसिस पॉइंट कम करके 3% कर दिया गया, जिससे बैंकिंग सिस्टम में पहले से मौजूद अतिरिक्त नकदी में 2.5 लाख करोड़ रुपये और जुड़ गए।

BOB ने MCLR में की 5 बेसिस प्वाइंट्स की कटौती

बैंक ने एक महीने से लेकर एक साल की अवधि के लिए MCLR में 5 बेसिस प्वाइंट्स की कटौती की है।

  1. ओवरनाइट MCLR 8.15% पर बनी हुई है। इसमें कोई परिवर्तन नहीं हुआ है।
  2. एक महीने की MCLR को 8.35% से संशोधित कर 8.30% कर दिया गया है।
  3. तीन महीने की MCLR को 8.55% से संशोधित करके 8.50% कर दिया गया है।
  4. छह महीने की MCLR को 8.80% से संशोधित करके 8.75% कर दिया गया है।
  5. एक साल की MCLR को 8.95% से संशोधित करके 8.90% कर दिया गया है।

MCLR घटने-बढ़ने से कैसे होम लोन पर पड़ता है असर?मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट में संशोधन से MCLR से जुड़े लोन लेने वालों को लाभ हो सकता है। इससे जुड़े लोग होम लोन, पर्सनल लोन, बिजनेस लोन पर कम ब्याज दरों के लिए पात्र हो सकते हैं।

बैंक की मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR rate cut June 2025) सीधे आपके होम लोन पर ब्याज दर को प्रभावित करती है। खासकर अगर यह फ्लोटिंग-रेट लोन है। MCLR में कमी से लोन EMI में संभावित कमी आती है। वहीं, अगर इसमें बढ़ोतरी हुई तो EMI बढ़ जाती है। होम लोन पर इंटरेस्ट रेट का कैलकुलेशन आम तौर पर MCLR में स्प्रेड या मार्जिन जोड़कर किया जाता है। इसलिए इसका असर होम लोन पर पड़ता है।