भिखारियों के भेष में आए, मुंह दबाया और उठाकर भागने लगे..लेकिन बच्चे की होशियारी के आगे फेल हो गई किडनैपिंग की कोशिश

राजनांदगांव/छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ से दो संदिग्ध युवकों द्वारा 10 वर्षीय बच्चे को अगवा करने का मामला प्रकाश में आया है। डोंगरगढ़ के वार्ड नंबर 22 में आज सुबह मासूम मनीष लहरे रोज की तरह अपने घर के बाहर खेल रहा था। गली में बच्चों की चहलकदमी चल रही थी, तभी दो अजनबी युवक वहां पहुंचे। दोनों ने अपने शरीर पर काले और सफेद कपड़े पहन रखे थे और हाथ में एक चादर थी। उन्होंने पहले मासूम मनीष के सामने चादर फैलाकर भीख मांगी। मनीष ने उन्हें देखा लेकिन कुछ नहीं बोला। आसपास कोई बड़ा न देखकर दोनों युवकों ने अचानक बच्चे को पकड़ लिया और उसका मुंह दबाकर भागने लगे, लेकिन मनीष ने हिम्मत नहीं हारी। मासूम बच्चे ने पूरी ताकत से खुद को छुड़ाया और घर की ओर भागा। घर पहुंचते ही उसने रोते हुए पिता और मोहल्लेवालों को सारी बात बताई। बच्चे की बात सुनते ही पूरे मोहल्ले में अफरा-तफरी मच गई। लोग इकट्ठा हुए और बिना समय गंवाए संदिग्ध युवकों की खोज में निकल पड़े।करीब दो घंटे की तलाश के बाद दोनों युवक ग्राम चौथना के आगे जंगल की ओर भागते मिले। ग्रामीणों ने घेराबंदी कर दोनों को पकड़ लिया। भीड़ का गुस्सा इतना ज्यादा था कि लोगों ने पहले दोनों की जमकर पिटाई की और फिर 112 पुलिस को बुलाकर उन्हें पुलिस के हवाले किया। दोनों आरोपियों को थाना डोंगरगढ़ लाया गया, जहां पूछताछ में पता चला कि वे महाराष्ट्र के सालेकसा क्षेत्र के निवासी हैं। पुलिस फिलहाल यह जांच कर रही है कि क्या दोनों किसी संगठित गिरोह से जुड़े हैं या किसी विशेष उद्देश्य से डोंगरगढ़ पहुंचे थे। घटना के बाद शहर में भय और आक्रोश दोनों व्याप्त हैं। लोगों का कहना है कि डोंगरगढ़ जैसे शांत और धार्मिक शहर में इस तरह की घटना होना बेहद चिंताजनक है। माता-पिता अब बच्चों को घर के बाहर अकेले खेलने नहीं दे रहे हैं। मोहल्लों में लोग एक-दूसरे को सतर्क कर रहे हैं और संदिग्ध व्यक्तियों पर नजर रखे हुए हैं।डोंगरगढ़ पुलिस ने बताया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए आरोपियों से गहन पूछताछ की जा रही है। पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे अफवाहों से बचें, लेकिन आसपास की गतिविधियों पर सतर्क नजर रखें। 10 साल का मनीष आज पूरे शहर के लिए हिम्मत की मिसाल बन गया है। उसकी सूझबूझ ने न केवल खुद को बचाया बल्कि एक बड़ी वारदात को भी टाल दिया। डोंगरगढ़ में अब हर कोई यही कह रहा है कि अगर मनीष ने उस वक्त साहस नहीं दिखाया होता तो शायद आज कहानी कुछ और होती।