ऑन लाइन ठगी का एक चौंकाने वाला तरीका सामने आया

ऑन लाइन ठगी का एक चौंकाने वाला तरीका सामने आया

ऑन लाइन ठगी का एक चौंकाने वाला तरीका सामने आया है। इसमें ठगों ने बंद हो चुके मोबाइल नंबरों को फिर से चालू कराया और उससे लिंक बैंकिंग डिटेल के जरिए लाखों रुपए अपने खाते में ट्रांसफर कर लिए। रायपुर में पिछले 4 माह में ऐसी 2 एफआईआर हुई है और प्रदेश के कई थानों में ऐसी शिकायतें भी मिली हैं। साइबर एक्सपर्ट कहते हैं कि जब भी मोबाइल नंबर बदलें, पुराने से बैंकिंग लिंक डिसकनेक्ट करना ना भूलें।बंद मोबाइल नंबरों से ठगी का नया ट्रेंड:लिंक खातों से निकाल रहे पैसे, मोबाइल नंबर बदलें तो पेमेंट लिंक जरूर हटाएं

ऑन लाइन ठगी का एक चौंकाने वाला तरीका सामने आया है। इसमें ठगों ने बंद हो चुके मोबाइल नंबरों को फिर से चालू कराया और उससे लिंक बैंकिंग डिटेल के जरिए लाखों रुपए अपने खाते में ट्रांसफर कर लिए। रायपुर में पिछले 4 माह में ऐसी 2 एफआईआर हुई है और प्रदेश के कई थानों में ऐसी शिकायतें भी मिली हैं। साइबर एक्सपर्ट कहते हैं कि जब भी मोबाइल नंबर बदलें, पुराने से बैंकिंग लिंक डिसकनेक्ट करना ना भूलें।

छत्तीसगढ़ में एक्टिव 3 करोड़ से ज्यादा मोबाइल नंबरों में हर महीने अलग-अलग कारणों से करीब 10 हजार नंबर बंद होते हैं। कोई मोबाइल गुम होने के कारण तो कोई चोरी होने के बाद पुराने नंबर की जगह नया नंबर लेकर उसका उपयोग करने लगते हैं। लोगों को लगता है कि एक बार चूंकि नंबर अलॉट हो चुका है, इसलिए अब वह किसी दूसरे को अलाॅट नहीं होगा।

इसलिए वे उस नंबर को बैंक में जाकर पेमेंट लिंक से हटवाते भी नहीं है। ठग इसी बात का फायदा उठाकर ऐसे नंबरों को तलाश रहे हैं जो लोगों ने बंद होने के बाद चालू नहीं कराया है। बंद होने वाले ज्यादातर नंबरों से बैंक खाता और आधार लिंक रहता है। ठग उन नंबरों को नए नाम से अलॉट करवाते हैं फिर जिन नंबरों से बैंक खाता और आधार लिंक रहता है, उनमें यूपीआई चालू कर उनके खातों में सेंध लगा देते हैं।

पुराना नंबर तुरंत लिंक होने के साथ ही उसमें सभी तरह के ओटीपी भी आ जाते हैं, जिससे खाते से रकम पार करना बेहद आसान हो जाता है। पिछले साल केंद्र सरकार ने 55 लाख मोबाइल नंबर बंद किए थे।

दिल्ली में है ऐसे नंबर बेचने वाले हैकर्स और गिरोह

ठगों का गैंग बंद नंबरों का डाटा भी खरीद रहा है। दिल्ली में ऐसे साइबर अपराधी, हैकर हैं जो किसी तरह बंद नंबरों का डाटा एकत्र कर लेते हैं। ठगों के गिरोह इनसे डाटा खरीदकर अगर वे रिचार्ज करने या बिल पेमेंट से चालू हो सकते हैं तो चालू करा लेते हैं। ऐसे नंबरों को अलॉट करवाने में भी किसी तरह की दिक्कत नहीं है, क्योंकि 90 दिन लगातार नंबर बंद रहने के बाद कंपनी वही नंबर किसी दूसरे को अलॉट कर देती है।

ज्यादातर लोग चूंकि मोबाइल नंबर से लिंक यूपीआई सेवा का उपयोग कर रहे हैं, ऐसी दशा में उस नंबर से वही सेवा चालू करने में भी किसी तरह की तकनीकी दिक्कत नहीं आती। ऐसा करने के बाद ठग आसानी से उस नंबर की मदद से पैसों का ऑनलाइन ट्रांजेक्शन शुरू कर देते हैं।

 मृत चाचा के खाते से 8 लाख निकाल लिए ठगों ने

केस-1

रायपुर में इसी हफ्ते एक डॉक्टर ने 8 लाख की ऑनलाइन ठगी की एफआईआर दर्ज कराई है। डॉक्टर के बुजुर्ग चाचा लंबे समय से बीमार चल रहे थे। बाहर आना-जाना बंद होने की वजह से उनका फोन बंद रहता था। परिवार वालों ने रिचार्ज कराना भी बंद कर दिया। पिछले साल उनकी मौत हो गई। डॉक्टर अपने चाचा के वसीयत के नॉमिनी थे। उन्होंने खाते और पॉलिसियों को बंद कराया। तभी उन्हें पता चला कि चाचा के खाते से 8 लाख रुपए निकाल गए हैं।

उन्होंने बैंक ट्रांजेक्शन की जानकारी निकाली तो पता चला कि पैसा मध्यप्रदेश के एक युवक के खाते में गया है। पड़ताल में खुलासा हुआ है कि बुजुर्ग चाचा के बैंक, आधार कार्ड, पैन कार्ड समेत अन्य बैंकिंग कार्य में जो फोन नंबर लिंक था वह 6 माह पहले एमपी के युवक को मिल गया। उसी ने इस नंबर का दुरुपयोग कर खाते से रकम पार कर दी।

रिटायर्ड आईएएस के खाते से निकाल लिए 25 लाख रुपए

केस-2

छत्तीसगढ़ के एक रिटायर्ड आईएएस से भी 6 माह पहले इसी तरीके से 25 लाख की ऑनलाइन ठगी की गई थी। ठगों ने उनके बंद मोबाइल नंबर को अलॉट कराया और फिर से चालू करवा लिया। उसके बाद नेट बैंकिंग से उनके खाते से अलग-अलग किस्तों में 25 लाख रुपए पार कर दिए। सिविल लाइन पुलिस ने इस मामले में एक आरोपी को दिल्ली से पकड़ा था। हालांकि गिरोह का सरगना अभी तक फरार है।

संचार साथी पोर्टल की मदद ले सकते हैं आप

केंद्रीय दूरसंचार विभाग की ओर से संचार साथी पोर्टल लांच किया गया है। इस पोर्टल में गुम व चोरी हुए मोबाइल को ब्लॉक और अनब्लॉक करने की सुविधा मिलती है। इस पोर्टल में सीईआईआर, टैफकॉप आदि मॉड्यूल को शामिल किया गया है। सीईआईआर मॉड्यूल खोए या चोरी हुए मोबाइल का पता लगाने की सुविधा देता है।

सुप्रीम कोर्ट: पुराने नंबर अकाउंट से जरूर हटाएं

90 दिनों के बाद मोबाइल नंबर दूसरों को अलॉट करने के खिलाफ दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा था कि ग्राहक पिछले फोन नंबर से जुड़े व्हाट्सएप अकाउंट को हटा दें। इसके अलावा स्थानीय डिवाइस मेमोरी/क्लाउड/ड्राइव पर संग्रहित व्हाट्सएप डेटा को भी मिटा दें। इससे व्हाट्स एप डेटा के दुरुपयोग को रोका जा सकता है।

बैंक से जुड़े नंबर के ज्यादा इस्तेमाल से बचे

छत्तीसगढ़ ही नहीं देश के कई राज्यों में इस नई तकनीक से ठगी बढ़ रही है। इसलिए बैंक, यूपीआई, आधार, पैनकार्ड या अन्य तरह के बैंकिंग सेक्टर में रजिस्टर फोन नंबर का ज्यादा उपयोग नहीं करना चाहिए। फोन गुम, चोरी या लूट होने पर तुरंत सिम ब्लॉक कराएं। गुमा नंबर बैिकंग में रजिस्टर है तो उसे हटा दें। रजिस्टर नंबर से ही ठग बैंक की जानकारी निकाल लेते हैं। -संजय सिंह, डीएसपी क्राइम

इस तरह की सावधानी बरतनी ही चाहिए

बैंक, यूपीआई, आधार-पैनकार्ड में रजिस्टर नंबर का ज्यादा उपयोग न करें।

लोगों से बातचीत, मैसेज या बाहरी ट्रांजेक्शन के लिए दूसरा फोन नंबर रखें।

फोन पर ट्रांजेक्शन का मैसेज नहीं आ रहा है तो तुरंत बैंक जाकर जांच करें।

फोन गुम या नंबर बंद हो गया तो उसे बैंकिंग कामों के रजिस्ट्रेशन से हटवा दें।

जिस नंबर में यूपीआई चल रहा है तो उसे सीधे बैंक खाते से लिंक नहीं करें।