अर्जुन वृक्ष की बेधड़क कटाई, रोकने वाला कोई नही, पेड़ की कटाई पर्यावरण को नुकसान पहुचाया जा रहा
पाटन। पाटन विकास खण्ड के ग्राम सेलुद, गाड़ाडीह,छाटा, जामगांव (आर) जामगांव (ऍम) सहित आसपास के ग्रामो में अर्जुन (कौहा) पेड़ की धड़ल्ले से कटाई की जा रही है। वन विभाग व राजस्व विभाग खामोश है। कोई भी कार्रवाई नही होने से अवैध रूप से पेड़ो को कटाई करने वालो और परिवहन करने वालो का हौशला बढ़ता जा रहा है। इन बड़े बड़े पेड़ो को लकडियो की सप्लाई जामगांव आर,जामगांव ऍम, गाड़ाडीह, उतई, छाटा सहित कुम्हारी व आसपास के आरामिलो को सप्लाई की जा रही है।
पाटन विकास खण्ड के ग्रामो में पेड़ो की कटाई जारी है। इसके लिए कोचिया गाव गाव में जा रहे है।किसानो को पैसा का लालच देकर उनके पेड़ो को बिना शासन की अनुमति के कटाई कर रहे है। प्राप्त जानकारी के अनुसार कई आरा मिलो में कच्चा लकड़ी को फाड़ने का काम किया जा रहा है। इन आरामिलो में रात और दिन लकड़ी की सप्लाई किया जाता है। गाव गाव लकड़ी कटाई के लिए कोचिया घूम रहे है। सुबह लकड़ी से भरे गाड़ियां आसानी के साथ सेलूद होते हुए आरा मिलों तक पहुंचाई जा रही है।
ग्रामीणों का कहना हैं की सेलुद, गाड़ाडीह, जामगांव (आर) जामगांव (ऍम),रानितराई, एरिया में बड़े पैमाने पर पेड़ो को कटाई अवैध रूप से की जा रही है। राजस्व विभाग व वन बिभाग को इसकी जांच कर कारवाई का अधिकार है लेकिन अभी तक कार्रवाई के नाम पर महज खाना पूर्ति की गई है। इस मामले में कड़ी कारवाई की जायेगी तो बड़ी मात्रा में लकड़ी की तस्करी करने वाले बेनकाब हो सकते है।
जिस अर्जून पेड़ की छाल से बनती है हार्ट की बीमारी की दवाई
औषधि गुण होने की वजह से शासन ने अर्जुन (कहुआ) वृक्ष की कटाई पर प्रतिबंध लगा दिया है। बावजूद इसके दुर्ग जिले के पाटन क्षेत्र में इस पेड़ की अवैध रूप से धड़ल्ले से कटाई हो रही है।
लकड़ी तस्कर बेखौफ होकर इस प्रतिबंधित पेड़ की कटाई कर अवैध परिवहन कर रहे हैं। वहीं दुर्ग वन मंडल के अंतर्गत उड़नदस्ता दल बल की कमी का रोना रोते हुए तस्करों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पा रहा है। दुर्ग वन मंडल के अंतर्गत सैकड़ों पेड़ों की कटाई और तस्करी हो चुकी है पर उड़नदस्ता ने अभी तक केवल खानापूर्ति करने की कार्यवाही हुई है। लेकिन उन मुख्य तस्करों तक हाथ नहीं पहुंचे हैं जिनके इशारे पर इन पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाई जा रही है।
इस क्षेत्र में सक्रिय हैं तस्कर: पाटन क्षेत्र के ग्राम रानितराई, खर्रा, बेलौदी,गबदी,छाटा, फुंडा, लोहरसी, रुही, सावनी, दैमार, धौराभांठा , मटंग, सांतरा में कहुआ के पेड़ की अवैध कटाई खूब हो रही है। इन गांवों में तस्करों ने एजेंट सक्रिय कर रखा है जो कि ग्रामीणों को एक पेड़ के पीछे 1 हजार से 15 सौ रुपए थमाकर ठगते हैं।
इसलिए है कहुआ की डिमांड: प्रतिबंधित पेड़ होने की वजह से आरा मिलों और प्लाई फैक्ट्री में महंगे दाम पर बिक्री करते हैं। यही वजह है कि कहुवा से बने फर्नीचर बाजार में बहुत महंगे दाम पर बिकते हैं। चिकना और लंबाई के साथ सीधा होने की वजह से इससे मनचाहे फर्नीचर तैयार कर सकते हैं। इस वजह से इसकी डिमांड ज्यादा है।
जिले दुर्ग में जंगल नहीं है। भिलाई में भी वन क्षेत्र नहीं है। इसलिए फर्नीचर और प्लाई फैक्ट्री चलाने वाले लकड़ी माफिया पाटन क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों से कहुआ सहित अन्य कीमती पेड़ों को अवैध रूप से कटाई कराकर मंगाते हैं। दुर्ग जिले में सबसे ज्यादा भिलाई में फर्नीचर मार्ट संचालित हैं। यही वजह है कि ज्यादातर लकड़ी तस्कर सीमावर्ती गांवों के ग्रामीणों को झांसे में लेकर अवैध रूप से पेड़ की कटाई कर आसानी से रातों-रात पार कर देते हैं।