श्री गजानन महाराज प्रगट उत्सव श्री श्रद्धा सुमन साईबाबा मंदिर हाऊसिंग बोर्ड महिला मंडल के द्वारा हर्ष उल्हास के साथ मनाया गया

श्री गजानन महाराज प्रगट उत्सव श्री श्रद्धा सुमन साईबाबा मंदिर हाऊसिंग बोर्ड महिला मंडल के द्वारा हर्ष उल्हास के साथ मनाया गया

दुर्ग। श्री गजानन महाराज प्रगट उत्सव श्री श्रद्धा सुमन साईबाबा मंदिर हाऊसिंग बोर्ड महिला मंडल के द्वारा हर्ष उल्हास के साथ मनाया गया प्रार्थना सुबह श्री गजानन महाराज जी का अभिषेक फुलो से सिंगार प्रतिमा फोटो पर फुलो की माला चढाकर पूजा अर्चना कि मंदिरचे पंडित प्रियांशू महाराज हे द्वारा हवन पूजन किया गया श्री गजानन महाराज विजय ग्रंथपाठ मंदिर समितीची महिलाओ केदारा पडा गया जय गजानन श्री गजानन गुरु गजानन स्मरण श्री गजानन महाराज जी के जीवन की गाथा सुनाई उनके द्वारा के कार्य भक्ती मार्ग पर चलने का संदेश सभी भक्तो को दिया गया मंदिर समितीची महिलाओ के द्वारा हरिपाठ भजन कीर्तन सुंदर भजन की प्रस्तुती दोपहर 12 बजे के बाद महिला मंडल के द्वारा श्री गजानन महाराज की पूजा अर्चना कि गईगजानन महाराज के मंत्रों का जाप, पूरे दिन चला कार्यक्रम

श्री गजानन महाराज आयोजक विशाल भारती देशमुख एवं उषा शिरसागर ने अपने विचार साझा बताया

आयोजकों ने बताया कि संत गजानन महाराज हमेशा एक ही मंत्र बोला करते थे, जिसका इस दिन जाप करना चाहिए। यह है गण गण गणात बोते। वांथ का पाठ पूरा हो जाने पर श्री गजानन महाराज के लिए झुणका भाकर यानी बेसन और ज्वार की रोटी का भोग लगाया गया। उनके प्रकट दिवस के अवसर पर घर-घर इसी का नैवेद्य लगाया जाता है। साथ ही देश भर के श्री गजानन महाराज के मंदिरों में महाप्रसाद का आयोजन किया जाता है, जिसे भक्त ग्रहण करते हैं। आयोजन में गोपाल काला का प्रसाद बंटा। इसका विशेष महत्व माना गया है। इसे दही, शक्कर, नारियल के दाने, फल, नीबू आदि मिश्रण से तैयार किया जाता है। इसमें भगवान ने संदेश दिया है कि अपने जीवन में सब मिल जुलकर रहें। गरीब हो या अमीर सब मिलकर यह प्रसाद ग्रहण करेंभाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ली समाधि. लि श्री गजानन महाराज भक्तजन प्रशांत कुमार शिरसागर
अपने विचार साझा 
ने बताया कि गजानन महाराज का शेगांव में भव्य मंदिर है। वहां मंदिर का वातावरण इतना सुखद है कि परेशान से परेशान व्यक्ति भी अगर वहां जाए और महाराज के दर्शन करे तो उसके मन को अत्यंत प्रसन्नता प्राप्त होती है। भक्तजनों का दृढ़ विश्वास है कि गजानन महाराज आज भी अपने सूक्ष्म रूप में वहां पर उपस्थित हैं। महाराज ने हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि (ऋषि पंचमी) यानी 8 सितंबर 1910 को समाधि ली। उस स्थान पर उनके समाधि स्मारक मंदिर का निर्माण किया गया। साथ ही गजानन महाराज संस्थान की स्थापना की गई।