धार्मिक नगरी का रोम-रोम हुआ राममय, 11000 से ज्यादा महिलाओं ने धारण किये अक्षत कलश

धार्मिक नगरी का रोम-रोम हुआ राममय, 11000 से ज्यादा महिलाओं ने धारण किये अक्षत कलश

प्रभु श्री राम की अयोध्या नगरी में 22 जनवरी को होने वाली प्राण प्रतिष्ठा से पहले ही राजस्थान में धार्मिक नगरी के नाम से प्रसिद्ध करौली राम भक्ति के रंग में 7 जनवरी के दिन ही रंग गई. मौका था अयोध्या नरेश श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा से पहले निकलने वाली प्रभु श्री राम की शोभायात्रा का, धार्मिक नगरी में निकलने वाली यह भव्य शोभायात्रा इतनी विशाल और ऐतिहासिक थी कि मानों हर व्यक्ति के रोम-रोम में एक बार तो प्रभु श्री राम ही छा गए. राम जी की इस विशाल शोभा यात्रा को देखने के लिए पूरा शहर मानो थम गया हो. इस भव्य यात्रा का दृश्य देखने के लिए पूरे शहर के लोग दिनभर छतों पर ही नजर आए. करौली के इतिहास में पहली बार निकलने वाली यह शोभायात्रा इतनी विशाल थी कि एक बार तो व्यक्ति जहां पर भी था वहीं, पर ही करीब 2 घंटे तक ठहर गया

करौली के इतिहास में पहली बार निकलने वाली प्रभु श्री राम इस शोभायात्रा में 11000 से ज्यादा महिलाएं राम जी का अक्षय कलश अपने सिर पर धारण करके पंक्तिबद्ध रूप से चल रही थी. 11000 महिलाओं को एक साथ कलश लेकर चलते देख हर व्यक्ति के मन में राम भक्ति जाग उठी और पूरे शहर में राम ही राम के जयकारे ही सुनाई दे रहे थे. इसके साथ राम जी की इस भव्य शोभा यात्रा में सुभाष चंद्र बोस, रानी लक्ष्मीबाई और संजीव झांकी भी राम जी के रथ के पास ही चल रही थी.

करौली के इतिहास की सबसे बड़ी शोभायात्रा

इस ऐतिहासिक यात्रा के लिए लोगों ने भी स्वागत के लिए पलक पांवड़े बिछा दिए, राम जी की इस शोभायात्रा का जगह-जगह पर पुष्प वर्षा, रंगोली सजाकर स्वागत किया गया. सबसे खास बात कि इस विशाल यात्रा के चलते लगभग 4 घंटे तक जो व्यक्ति जहां था वहीं पर ठहर गया. संघ के नगर कार्यवाहक अमित शुक्ला ने बताया कि यह विशाल शोभायात्रा श्री राम जन्मोत्सव आनंद समिति द्वारा निकाली गई है. जो करौली के इतिहास की पहली सबसे बड़ी शोभायात्रा है. जिसमें 11000 से ज्यादा महिलाएं सिर पर अक्षत कलश लेकर चल रही थी. शुक्ला ने बताया कि इस शोभायात्रा की खासियत इसमें 3600 कोमों का समावेश था. करौली के त्रिलोक चंद माथुर स्टेडियम से 2:00 शुरू हुई इस विशाल शोभायात्रा का समापन शाम को एक साथ हनुमान चालीसा का पाठ और महिलाओं ने अपने-अपने कलश का जल 11 पार्थिव शिवलिंगों पर चढ़ाकर किया.