श्रीराम का अनोखा मंदिर, यहां प्रतिमाओं पर दिखेगी मूंछ, पहली बार आए भक्त हो जाते हैं हैरान

श्रीराम का अनोखा मंदिर, यहां प्रतिमाओं पर दिखेगी मूंछ, पहली बार आए भक्त हो जाते हैं हैरान

भगवान राम और माता सीता के साथ लक्ष्मण और हनुमान जी की आकर्षक प्रतिमाएं अधिकांश मंदिरों में विराजित हैं. भक्त पूरे भक्ति भाव से पूजा करते हैं. लेकिन मां अहिल्या की नगरी कहलाने वाले इंदौर में भगवान राम का एक अनूठा मंदिर हैं. यहां रामजी और लक्ष्मणजी की मूंछे हैं. लाल पत्थरों से बने इस मंदिर को लोग ‘मूंछों वाले राम मंदिर’ के नाम से भी जानते हैं. इस मंदिर में पहली बार आने वाले भक्त कहते हैं कि ऐसी प्रतिमाएं पहली बार देखीं.

यह अनूठा मंदिर जूनी इंदौर इलाके में है. मंदिर करीब 200 साल पुराना बताया जाता है. इसकी स्थापना क्षत्रिय मेवाड़ा कुमावत पंच ने की थी. पूरा मंदिर लाल पत्थर से बनाया गया है, इसलिए इसे लाल मंदिर भी कहा जाता है. यहां भगवान राम और लक्ष्मण की मूंछों वाली प्रतिमाएं हैं. श्रीराम दरबार के साथ ही इस मंदिर में राधा-कृष्ण और गणेशजी की भी मूर्तियां हैं. मंदिर में रामायण और महाभारत से जुड़े प्रसंगों की भी आकर्षक तस्वीरें लगाई गई हैं.

1888 में हुआ था मंदिर निर्माण
इस मंदिर को क्षत्रिय मेवाड़ा पंच ने राजस्थान की शैली में बनवाया था. मंदिर का निर्माण करीब 180 साल पहले यानी साल 1888 में हुआ था. यहां भगवान राम लक्ष्मण और मां सीता विराजित हैं, लेकिन जो मूर्ति राम-लक्ष्मण की है, उनमें मूंछों वाला रूप देखने को मिलता है. ऐसा माना जाता है कि इस तरह का दुर्लभ मंदिर मध्य प्रदेश में तो संभवत: इसके अलावा कहीं और नहीं है.

इसलिए बनाए मूछों वाले राम-लक्ष्मण
मंदिर के पुजारी सचिन तिवारी का कहना है कि मनुष्य अवतार में सहज रूप से दर्शन हो सकते हैं और भक्तों के लिए सहज रूप से जो उपलब्ध हो सकता है वह मनुष्य का होता है. तो मानव रूप में भगवान राम ने अवतार लिया और मानव के कल्याण के लिए सहज दर्शन हो सके और भक्ति हो सके, इसी भावना से इस मंदिर को मूंछ वाले राम के रूप में बनाया गया है.

इस दिन होते हैं विशेष आयोजन
मंदिर में रामनवमी, हनुमान जयंती और जन्माष्टमी पर विशेष आयोजन होते हैं. रामनवमी और जन्माष्टमी पर निसंतान महिलाओं की गोद भराई की रस्म भी होती है. 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में मंदिर में उत्सव मनाया गया. भगवान को पारंपरिक वस्त्र पहनाए गए. पंजीरी, खीर सहित अन्य भोग लगे.