छत्तीसगढ़ और उड़ीसा में करीब 900 किलोमीटर बहने वाली यहां की जीवनदायिनी महानदी का कंठ अब सूख रहा
छत्तीसगढ़ और उड़ीसा में करीब 900 किलोमीटर बहने वाली यहां की जीवनदायिनी महानदी का कंठ अब सूख रहा है। पहले गर्मियों के सीजन में मई और जून के महीने में इसकी धारा पतली हो जाती थी, लेकिन वर्तमान में जनवरी महीने में ही नदी से पानी खत्म हो रहा है। इस नदी से जुड़े अलग-अलग विषयों पर कई शोध हुए हैं। एनआईटी रायपुर ने भी इसमें कई शोध किए हैं। सभी मेंं नदी के अस्तित्व पर खतरे की बात है।
महानदी के बचाव के लिए जल्द ही उपाय नहीं किए गए तो आने वाले दिनों में यह पूरी तरह से सूख जाएगी। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) रायपुर में साल 2013 से लेकर अब तक कई स्टडी और रिसर्च महानदी को लेकर हुई हैं। भास्कर ने इनमें से 30 रिसर्च का डेटाबेस एकत्र किया। इन डेटाबेस की एक बात कॉमन है, वह है महानदी सिकुड़ रही है और साल 2034 तक स्थिति ऐसे ही रही तो नदी के अस्तित्व पर खतरा हो सकता है। महानदी में बारिश का ही पानी रहता है, लेकिन क्लाइमेट चेंज के कारण अब बारिश की झड़ी नहीं लगती। अब बरसात बे मौसम और तेज होती है, जिसके कारण पानी नदी में नहीं रूकता। वहीं नदी के सूखने के पीछे इसमें बने छोटे-बड़े सैकड़ों बांध और परियोजनाएं भी है।
तीन जिलों की एक स्टडी में 19 गांवों में बड़े पलायन की बात
एनआईटी के रिसर्च में एक और बात सामने आई है और वो है पानी की कमी के चलते खेती में आई कमी। रिसर्च के दौरान टीम ने धमतरी, महासमुंद और बलौदाबाजार जैसे जिलों में स्टडी की। यहां देखने को मिला कि ज्यादातर नदी किनारे बसे गांवों में लोग खेती किसानी ही करते हैं और महानदी के पानी से ही उनकी आजीविका चलती है। गर्मियों में पानी न होने के कारण आसपास पानी की कमी हो जाती है और लोग पलायन करने लगते हैं। इनमें 19 गांव ऐसे हैं जहां की 60 फीसदी से ज्यादा की आबादी चार महीनों के दौरान पलायन कर दूसरे राज्यों, शहरों में मजदूरी करने चली जाती है, क्योंकि गांव में कोई काम नहीं होता।
नदियों के सूखने के कारण भू-जल स्तर भी गिरा
महानदी और दूसरी नदियों की एक स्टडी में सामने आया कि नदियों के सूखने के कारण छत्तीसगढ़ का भू-जल स्तर तेजी से गिरा है। राज्य के 146 विकासखंडों में से साल 2009 में 132 सेफ जोन में थे, 14 सेमी क्रिटिकल थे, क्रिटिकल कोई नहीं था। मगर, 2024 की स्थिति में 119 विकासखंड सेफ जोन में है जबकि 22 सेमी क्रिटिकल और 5 विकासखंड क्रिटिकल जोन में पहुंच गए है। राज्य के 146 विकासखंडों में से 122 महानदी बेसिन में आते हैं।