हाईकोर्ट ने प्रदेश की बंद पड़ी स्ट्रीट लाइट्स पर नाराजगी जाहिर की
हाईकोर्ट ने प्रदेश की बंद पड़ी स्ट्रीट लाइट्स पर नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने बुधवार को कहा कि तत्काल लाइट्स सुधारी जाएं।इसके बाद भास्कर ने प्रदेश की स्ट्रीट लाइट्स की बदहाली की पड़ताल की। इसमें मालूम हुआ कि प्रदेशभर में 3.72 लाख स्ट्रीट लाइट लगी हैं और उन्हें संभालने का जिम्मा सिर्फ 400 कर्मचारियों के पास है।मतलब औसतन एक कर्मचारी के भरोसे 930 लाइट्स का रखरखाव। इस अव्यवस्था का सबसे बड़ा कारण मेंटेनेंस का ठेका लेने वाली कंपनी ईईएसएल का सही तरीके से काम नहीं करना है। इसके साथ् 7 साल तक मेंटेनेंस का करार है। राज्यभर के 184 नगर निगम, नगर पालिका निगम और पंचायतों में स्ट्रीट लाइट्स लगी हैं। लेकिन इनकी देखभाल के लिए कंपनी को जितने टेक्नीशियन, कर्मचारी रखने चाहिए उसका 25% भी नहीं हैं।
स्ट्रीट लाइट खराब होते ही लैपटॉप पर तुरंत लोकेशन का मैसेज आता है
प्रदेश में स्ट्रीट लाइट के खराब होते ही ईईएसएल को तुरंत जानकारी मिलती है। क्योंकि कंपनी ने प्रदेशभर में स्विच और लाइट की मॉनिटरिंग के लिए कंट्रोल एंड मॉनिटरिंग सिस्टम (सीसीएमएस) लगाया है। कंपनी ने कुल 4500 स्विच लगाया है। एक स्विच में करीब 50-60 लाइटें जुड़ी है। एक स्विच में खराबी आने के बाद एक साथ 50 से 60 स्ट्रीट लाइट बंद हो जाती है।कंपनी के कर्मचारियों को इसकी जानकारी उनके मोबाइल और लैपटाप पर तुरंत मिल जाती है। लेकिन वह निदान एप या नंबर में शिकायत का इंतजार करते हैं। शिकायत आने के बाद चार दिन के बाद उसकी मरम्मत करते हैं। कंपनी की लापरवाही के चलते शहरों की सड़कों-गलियों पर अंधेरा छाया रहता है।
दुकानें बंद होते ही सड़कों पर छा जाता है अंधेरा
स्ट्रीट लाइट बंद होने के कारण शहर की सड़कों के ज्यादातर हिस्सों पर अंधेरा छा जाता है। गाड़ियों के आने पर ही उजाला होता है। ऐसे में लोग दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं। स्थानीय लोग, निगम के कुछ पार्षदों ने बताया कि वे निगम प्रशासन से स्ट्रीट लाइट में सुधार कराने के लिए आग्रह करते हैं, लेकिन समय पर सुधार नहीं हो पा है। यही कारण है कि राजधानी में आए दिन अलग-अलग हिस्से में स्ट्रीट लाइट बंद हो रही है।
48 घंटे में सुधारना है लाइट्स, कर्मचारी 6 दिन तक लगा रहे
कंपनी ने पैसा बचाने के लिए कर्मचारियों की पूरे प्रदेश में संख्या सीमित रखी है। जैसे रायपुर में 56 हजार स्ट्रीट लाइट लगाई गई है। इसकी मरम्मत के लिए सिर्फ 40 कर्मचारी ही लगाए गए हैं। यही हालात सभी प्रमुख शहरों की है। स्ट्रीट लाइट के खराब होने के बाद कर्मचारी उसे चार-छह दिन बाद सुधार रहे हैं।
जबकि कंपनी के अनुबंध के तहत इसे 48 घंटे के भीतर सुधार करना है। लाइट्स खराब होने की शिकायतें इसके चलते लगातार बढ़ रही हैं। इसमें 121 नगर निगम, नगर पालिका निगम और पंचायतों से जनवरी से 4 सितंबर तक कुल 24 हजार 812 शिकायतें निदान के जरिए आई हैं। कंपनी का कहना है कि इसमें 20 हजार 500 शिकायतों का निराकरण हुआ है। 4 हजार 311 शिकायतों का निराकरण अभी तक नहीं हो पाया है।