भिलाई के सूर्यकुंड में 51 नदियों के संगम से सजा स्थायी छठ घाट

भिलाई के सूर्यकुंड में 51 नदियों के संगम से सजा स्थायी छठ घाट

छत्तीसगढ़ में छठ महापर्व की शुरुआत के साथ इस बार भव्यता और श्रद्धा का अनूठा संगम देखने को मिला है। इस बार भिलाई के सूर्यकुंड ने पूरे शहर का ध्यान आकर्षित किया है, जहां 51 नदियों का पवित्र जल एकत्रित कर एक विशाल तालाब में डाला गया है। वहीँ बिलासपुर में एशिया का सबसे बड़ा स्थायी छठ घाट बन गया है। भिलाई के कैंप-1 स्थित बैकुंठधाम मंदिर के सामने 'सूर्यकुंड गंगा घाट बैकुंठ धाम तालाब' का निर्माण किया गया है। इस तालाब में गंगा, यमुना, सरस्वती, अलखनंदा सहित 51 नदियों का पवित्र जल मिलाया गया है। श्रद्धालु यहां सूर्य देव और छठी मैया की पूजा कर रहे हैं। तालाब के चारों ओर की सजावट और भव्यता इस स्थान को और भी खास बना रही है।बिलासपुर के तोरवा छठ घाट ने भी इस बार सबका ध्यान खींचा है। यह घाट मुंबई के प्रसिद्ध जुहू छठ घाट से भी बड़ा है, जो 7.5 एकड़ में फैला हुआ है। यहां पुलिस चौकी, लाइटिंग, पार्किंग, सामुदायिक भवन और गार्डन जैसी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। बिलासपुर के तोरवा छठ घाट ने भी इस बार सबका ध्यान खींचा है। यह घाट मुंबई के प्रसिद्ध जुहू छठ घाट से भी बड़ा है, जो 7.5 एकड़ में फैला हुआ है। यहां पुलिस चौकी, लाइटिंग, पार्किंग, सामुदायिक भवन और गार्डन जैसी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। दुर्ग जिले में कुरुद ढांचा भवन स्थित नकटा तालाब का भी सौंदर्यीकरण किया गया है। तालाब की सफाई के बाद यहां चारों ओर लाइट्स और पेवर ब्लॉक लगाए गए हैं, जिससे इसकी सुंदरता और बढ़ गई है। यहां भी श्रद्धालु छठ पर्व की पवित्रता और श्रद्धा को आत्मसात कर रहे हैं।यह त्योहार चार दिनों तक चलता है, जिसमें नहाय-खाय से लेकर सूर्य देवता को अर्घ्य देने तक की परंपराएं शामिल हैं। इस महापर्व में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं के लिए ये घाट विशेष रूप से सजाए गए हैं, जिससे उनकी श्रद्धा और उत्साह में कोई कमी न आए।