फोटोग्राफी केवल कला नहीं, तीसरी नज़र से दुनिया को देखने की शक्ति है : क्षीरसागर

दुर्ग।हर साल 19 अगस्त को मनाया जाने वाला विश्व फोटोग्राफी दिवस इस बार "मेरी पसंदीदा तस्वीर" (My Favourite Photograph) विषय पर केंद्रित है। यह दिवस न केवल फोटोग्राफी के कला, शिल्प, विज्ञान और इतिहास का उत्सव है बल्कि दुनियाभर के फोटोग्राफरों को प्रेरित करता है कि वे अपनी सबसे खास तस्वीर और उसके पीछे की कहानी साझा करें।
इस अवसर पर फोटोग्राफर प्रशांत कुमार क्षीरसागर ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि –
"फोटोग्राफी ने 185 वर्षों में तस्वीरों की दुनिया को पूरी तरह बदल दिया है। पहले जहां एक फोटो निकालने के लिए लंबी प्रक्रिया अपनानी पड़ती थी, वहीं आज डिजिटल कैमरों और मोबाइल के जरिए कुछ ही सेकेंड में हजारों फोटो खींचे और प्रिंट किए जा सकते हैं।"
उन्होंने यह भी कहा कि फोटोग्राफी को अक्सर कला में दूसरा दर्जा दिया गया, जबकि इसकी ताकत हजारों शब्दों से भी ज्यादा होती है। उनके अनुसार –
"आज के दौर में हर कोई फोटोग्राफर है, लेकिन असल फोटोग्राफी तीसरी नज़र से दुनिया को देखने की कला है।"
इतिहास की झलक
19 अगस्त 1839 को फ्रांसीसी सरकार ने लुइस डागुएरे द्वारा विकसित डागुएरियोटाइप प्रक्रिया का पेटेंट खरीदकर इसे पूरी दुनिया के लिए "मुफ्त उपहार" घोषित किया।
इसी घटना की स्मृति में हर साल 19 अगस्त को विश्व फोटोग्राफी दिवस मनाया जाता है।
वर्ष 2010 में पहली बार इसे वैश्विक स्तर पर मनाया गया, जब 270 से अधिक फोटोग्राफरों ने अपनी तस्वीरें ऑनलाइन गैलरी में साझा कीं।
इस वर्ष की थीम
2025 की थीम “मेरी पसंदीदा तस्वीर” लोगों को तकनीकी परिपूर्णता से ज्यादा व्यक्तिगत भावनाओं और अर्थ को महत्व देने के लिए प्रेरित करती है। यह दिन पेशेवर और शौकिया दोनों फोटोग्राफरों के लिए समान रूप से खास है।