छत्तीसगढ़ : बजरंग दल कार्यकर्ताओं पर एफआईआर के निर्देश, महिला आयोग ने डीजीपी को भेजा सख्त पत्र

रायपुर / छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग ने बृहस्पतिवार को राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अरुण देव गौतम को पत्र लिखकर नारायणपुर की तीन युवतियों की शिकायतों के आधार पर अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया।इन युवतियों ने आरोप लगाया था कि इस वर्ष जुलाई में दुर्ग रेलवे स्टेशन पर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने उन पर हमला किया और छेड़छाड़ की।तीनों युवतियों के मुताबिक, जब वे काम के लिए आगरा जा रही थीं तब बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने रेलवे स्टेशन पर उन्हें घेर लिया और उनके साथ जा रही दो नन और एक आदिवासी व्यक्ति पर जबरन धर्म परिवर्तन करने तथा मानव तस्करी करने का आरोप लगाया था। बाद में पुलिस ने दोनों नन और उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया था। आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक ने कहा कि जब पुलिस ने युवतियों की शिकायतों पर प्राथमिकी दर्ज नहीं की, तो तीनों युवतियों ने आयोग से संपर्क किया और आरोप लगाया कि दुर्ग रेलवे स्टेशन पर बजरंग दल के तीन कार्यकर्ताओं ने उनके ऊपर हमला किया, गाली-गलौज की और छेड़छाड़ की, साथ ही जाति-आधारित गालियां भी दीं।नायक ने बताया कि इस मामले में अब तक तीन सुनवाई हो चुकी हैं, लेकिन नोटिस दिए जाने के बावजूद प्रतिवादी आयोग के समक्ष उपस्थित नहीं हुए हैं।नायक ने एक बयान में कहा कि दुर्ग जिले के पुलिस अधीक्षक ने भी आयोग के समक्ष उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करने में लगातार लापरवाही बरती है।दुर्ग जिले के पुलिस अधीक्षक ने कहा कि जीआरपी थाना मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) के अधिकार क्षेत्र में आता है, जबकि डीआरएम कार्यालय ने कहा कि यह राज्य पुलिस के नियंत्रण में आता है।उन्होंने कहा कि जब आयोग ने दुर्ग रेलवे स्टेशन से सीसीटीवी फुटेज का अनुरोध किया, तो केवल एक गेट की फुटेज पेन ड्राइव में उपलब्ध कराई गई, जिससे संदेह पैदा होता है कि डीआरएम सबूतों को छिपाने में मदद कर रहे थे।नायक ने कहा कि आयोग ने डीजीपी को एक पत्र भेजकर निर्देश दिया है कि तीनों शिकायतकर्ताओं के लिए 15 दिन के भीतर अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की जाए और 15 दिन के भीतर आयोग को एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि यदि डीजीपी निर्धारित समय के भीतर प्राथमिकी दर्ज करने और रिपोर्ट प्रस्तुत करने को सुनिश्चित करने में विफल रहते हैं, तो आयोग पीड़ितों के लिए पुलिस प्रशासन से मुआवजे की मांग करने के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) से संपर्क करेगा।केरल की दो कैथोलिक नन प्रीति मैरी (55) और वंदना फ्रांसिस (53) को एक आदिवासी व्यक्ति सुखमन मंडावी के साथ 25 जुलाई को राज्य के दुर्ग रेलवे स्टेशन पर राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने गिरफ्तार किया था।स्थानीय बजरंग दल के एक पदाधिकारी ने शिकायत दर्ज कराई थी कि आदिवासी बहुल नारायणपुर जिले की तीन महिलाओं का जबरन धर्म परिवर्तन कराया और उनकी तस्करी की गई।राज्य में ननों की गिरफ्तारी को लेकर कांग्रेस और माकपा ने पुलिस कार्रवाई की आलोचना की, वहीं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया।बाद में, संबंधित महिलाओं में से एक ने दावा किया कि बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने उसे झूठा बयान देने के लिए मजबूर किया और उसके साथ मारपीट की। दक्षिणपंथी संगठन ने इस आरोप का खंडन किया।युवतियों के अधिवक्ता फूल सिंह कचलम ने बताया कि नारायणपुर जिले की निवासी 19 से 21 वर्ष की आयु की तीन युवतियां सुखमती मंडावी, ललिता उसेंडी और कमलेश्वरी प्रधान ने आयोग को दी अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि 25 जुलाई को जब वे नौकरी के लिए उत्तर प्रदेश के आगरा जाने के लिए दुर्ग रेलवे स्टेशन पर थीं, तब ज्योति शर्मा, रवि निगम, रतन यादव नामक कार्यकर्ताओं ने कुछ असामाजिक तत्वों के साथ उन्हें रोक लिया।युवतियों ने शिकायत में दावा किया है कि इसके बाद शर्मा, निगम और अन्य उन्हें दुर्ग राजकीय रेलवे पुलिस थाने ले गए और वहां उनके साथ छेड़छाड़ की गई और बलात्कार की धमकी दी गई। उन्होंने बताया कि इस दौरान तीनों को कथित तौर पर जातिसूचक शब्दों से भी गालियां दी गईं।खुद को बजरंग दल की कार्यकर्ता बताने वाली ज्योति शर्मा ने आरोपों से इनकार किया है।राज्य के बिलासपुर जिले की एक विशेष अदालत द्वारा जमानत दिए जाने के बाद दोनों ननों और एक अन्य को दो अगस्त को दुर्ग जेल से रिहा कर दिया गया।