रायपुर में डीएड-डीएलएड अभ्यर्थियों का प्रदर्शन, मुख्यमंत्री आवास घेरने की कोशिश, पुलिस संग टकराव और दंगा भड़काने के आरोप, गैर-जमानती धाराओं में FIR.
रायपुर । रायपुर में डीएड (Diploma in Education) और डीएलएड (Diploma in Elementary Education) अभ्यर्थियों द्वारा किए गए प्रदर्शन ने बड़ी सुर्खियां बटोरी हैं। इन अभ्यर्थियों पर दंगा भड़काने और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप लगाए गए हैं, और पुलिस ने इन पर गैर-जमानती धाराओं के तहत FIR दर्ज की है। चलिए, इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं।मिडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस प्रदर्शन की जड़ें काफी पुरानी हैं। रायपुर में करीब 500 से अधिक डीएड और डीएलएड अभ्यर्थी 2 अक्टूबर से अपनी मांगों को लेकर नवा रायपुर में धरना दे रहे थे। ये अभ्यर्थी सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा में क्वालिफाई कर चुके हैं और उनकी मांग है कि बीएड (Bachelor of Education) वालों को इस भर्ती में शामिल न किया जाए। अभ्यर्थियों ने अदालत से भी जीत हासिल की थी, लेकिन भर्ती प्रक्रिया में देरी हो रही है, जिसके कारण ये अभ्यर्थी नाराज हैं।प्रदर्शनकारियों ने 21 अक्टूबर को रायपुर में मुख्यमंत्री आवास घेरने का प्रयास किया। उनकी योजना मुख्यमंत्री से अपनी मांगे सीधे तौर पर रखने की थी। हालांकि, पुलिस ने उन्हें VIP इलाके में प्रवेश करने से पहले ही रोक लिया। पुलिस के अनुसार, अभ्यर्थियों ने बिना अनुमति के वीआईपी इलाके में रास्ता बंद कर दिया था, जिसके चलते वहां की सुरक्षा में खलल पड़ा।पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच काफी समय तक धक्का-मुक्की चली। पुलिस अधिकारियों और कार्यपालिक दंडाधिकारी ने बार-बार समझाने की कोशिश की, लेकिन प्रदर्शनकारी नहीं माने। इसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को बलपूर्वक हटाने का प्रयास किया। इस दौरान सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और पुलिसकर्मियों के साथ धक्का-मुक्की के आरोप भी लगाए गए। सिविल लाइन पुलिस थाने में कई धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है, जिनमें मुख्य रूप से भारतीय न्याय संहिता की धारा 191(2), 126(2), 121(1) और लोक संपत्ति निवारण अधिनियम शामिल हैं। ये सभी गैर-जमानती धाराएं हैं। FIR में जिन प्रमुख प्रदर्शनकारियों के नाम दर्ज किए गए हैं, उनमें ओम प्रकाश साहू, मेघा पांडे, संतोष साहू, कुलदीप वर्मा, कमल राजपूत, इनायत अली, और सतीश निषाद शामिल हैं। ये सभी प्रदर्शनकारी रायपुर और आस-पास के इलाकों से हैं, जिनमें लोरमी, कोरबा, मुंगेली, और भिलाई के निवासी शामिल हैं।डीएड-डीएलएड अभ्यर्थियों की मुख्य मांग यह है कि सहायक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में बीएड अभ्यर्थियों को वैध नहीं माना जाए। उनका तर्क है कि उन्होंने अदालत से इस मामले में जीत हासिल की है, लेकिन फिर भी भर्ती प्रक्रिया में देरी हो रही है। अभ्यर्थियों ने नवरात्र और दशहरा भी धरनास्थल पर ही मनाया, जो दर्शाता है कि वे कितनी गंभीरता से इस मुद्दे को लेकर खड़े हैं। इनका कहना है कि सरकार और अधिकारियों ने उनकी मांगों को अनसुना किया है, इसलिए वे मजबूरन इस तरह के आंदोलन कर रहे हैं।