CRPF में तैनात सिपाही को नौकरी से बर्खास्त किया गया, क्या बोले मुनीर अहमद?

CRPF में तैनात सिपाही को नौकरी से बर्खास्त किया गया, क्या बोले मुनीर अहमद?

दिल्ली। पाकिस्तानी नागरिक से अपनी शादी की बात छिपाने के आरोप में सेवा से बर्खास्त किए गए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के जवान मुनीर अहमद ने आरोपों से इनकार किया है. मुनीर ने कहा कि शादी करने से पहले उन्होंने सीआरपीएफ मुख्यालय से अनुमति ली थी. एक एजेंसी से बातचीत के दौरान मुनीर ने कहा कि मुझे मीडिया रिपोर्टों के माध्यम से अपनी बर्खास्तगी के बारे में पता चला. वहीं, इसके तुरंत बाद मुझे सीआरपीएफ से एक पत्र मिला, जिसमें मुझे बर्खास्तगी के बारे में बताया गया था. यह पत्र मेरे और मेरे परिवार के लिए एक झटका था. हालांकि, मैंने मुख्यालय से एक पाकिस्तानी महिला से शादी की अनुमति मांगी थी और मुझे अनुमति मिल गई थी. जिसके बाद ही मैंने शादी किया।आपको बता दें कि सीआरपीएफ की तरफ से आरोप लगाया गया कि अहमद ने जानबूझकर महिला को उसके वीजा की वैधता के बाद भी भारत में रहने में मदद की. हालांकि, बर्खास्त जवान मुनीर का कहना है कि अब वह इस बर्खास्तगी को अदालत में चुनौती देने की योजना बना रहा है।जम्मू के घरोटा इलाके के निवासी मुनीर अहमद अप्रैल 2017 में सीआरपीएफ में शामिल हुए थे. पाकिस्तानी मीनल खान से उनकी दोस्ती ऑनलाइन हुई थी. जिसके बाद दोनों ने 24 मई, 2024 को वीडियो कॉल निकाह समारोह के जरिए शादी की. अहमद के मुताबिक, सीआरपीएफ मुख्यालय से औपचारिक अनुमति मिलने के करीब एक महीने बाद यह विवाह संपन्न हुआ.
मुनीर अहमद ने यह भी बताया कि उन्होंने मीनल खान से शादी करने के अपने इरादे के बारे में सीआरपीएफ को सबसे पहले 31 दिसंबर, 2022 को बताया था. मैंने आधिकारिक चैनलों के माध्यम से खुद, अपने माता-पिता, स्थानीय सरपंच और जिला विकास परिषद के सदस्य के हलफनामे सहित सभी आवश्यक दस्तावेज जमा किए थे. इसके बाद मुझे 30 अप्रैल, 2024 को मुख्यालय से हरी झंडी मिल गई थी.
मामले में सीआरपीएफ का कहना है कि अहमद ने एक पाकिस्तानी नागरिक से अपनी शादी के बारे में जानकारी नहीं दी और उसे वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद भी भारत में रहने दिया, जो कि सेवा आचरण नियमों का उल्लंघन है. साथ ही यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जोखिम भी पैदा करता है.
मीनल खान 28 फरवरी को वाघा-अटारी सीमा के रास्ते भारत में अल्पकालिक वीजा पर आई थी, जिसकी अवधि 22 मार्च को समाप्त हो गई थी. हालांकि उसके और अहमद के मार्च में दीर्घकालिक वीजा के लिए आवेदन करने व साक्षात्कार सहित आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने उसके निर्वासन पर रोक लगा दी थी।