अनोखा मंदिर... धारी देवी के दर्शन बिना चारधाम यात्रा अधूरी, प्रेमी जोड़े नहीं कर सकते पूजा?

अनोखा मंदिर... धारी देवी के दर्शन बिना चारधाम यात्रा अधूरी, प्रेमी जोड़े नहीं कर सकते पूजा?

देवभूमि उत्तराखंड में कई ऐसे सिद्वपीठ और पौराणिक मंदिर हैं, जहां दर्शन मात्र से मनोकामना पूरी होने का दावा किया जाता है. वहीं, अलकनंदा नदी के बीचोंबीच पिलर के सहारे बने चारों धाम की रक्षक धारी देवी का मंदिर श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है. मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्वालु पहुंचते हैं. धारी देवी मंदिर को लेकर कई तरह की मान्यताएं भी जुड़ी हुई हैं. माना जाता है कि चारों धाम की यात्रा बिना धारी देवी के दर्शन किए सफल नहीं होती है. इस वजह से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां तीर्थयात्रा के दौरान दर्शन करने पहुंचते हैं. इसके अलावा मंदिर को लेकर यह भी मान्यता है कि यहां देवी दिन में तीन बार रूप बदलती है. मान्यताओं के साथ कुछ भ्रांतियां भी मंदिर को लेकर प्रचलित हैं. कहा जाता है कि प्रेमी जोड़ों को शादी से पहले मां धारी देवी के दर्शन नहीं करने चाहिए. इससे वे कभी भी शादी के बंधन में नहीं बंध सकते हैं.

धारी देवी मंदिर के पुजारी रमेश चंद्र पांडेय ने बताया कि उनके पास कई ऐसे श्रद्धालु भी पहुंचते हैं, जिनके मन में इस तरह का संशय होता है. मंदिर को लेकर कई प्रकार की भ्रांतियां हैं, लेकिन यह पूर्ण रूप से गलत है. पुजारी ने प्रेमी जोड़ों को लेकर फैली भ्रांति का खंडन करते हुए कहा, ‘ यह बिल्कुल गलत है कि अगर शादी से पहले प्रेमी जोड़े यहां पहुंचे, तो उनकी शादी नहीं होगी या फिर उनका दांपत्य जीवन खुशहाल नहीं होगा.’

अफवाह न फैलाएं
पुजारी रमेश चंद्र पांडेय ने कहा कि धारी देवी में जो जोड़ा अपनी श्रद्धा से आता है और भविष्य में खुशहाल दांपत्य जीवन की कामना करता है, तो मां जरूर उनकी मनोकामना पूरी करती है. मंदिर को लेकर गलत अफवाह न फैलाएं. साथ ही बताया कि यहां प्रेमी जोड़े शादी के बंधन में बंधने के लिए भी आते हैं.

नये साल में लगी भीड़
पुजारी रमेश चंद्र पांडेय के मुताबिक, धारी देवी मंदिर में हर महीने श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. नये साल के अवसर पर 12 हजार से अधिक भक्तों ने दर्शन किए. अब मंदिर में भी कई बदलाव किए गए हैं. श्रद्धालुओं की सुरक्षा को देखते हुए यहां बैरिकेडिंग के साथ मंदिर परिसर तक पहुंचने वाले मार्ग में टिन शेड और जालियां भी लगाई गई हैं, ताकि बंदर श्रद्धालुओं को परेशान न कर पाएं.