एमपी के इस शहर में है इकलौता सूर्य देव मंदिर, जानें मान्यता और महत्व
हिंदू धर्म में सूर्य देव एक मात्र ऐसे देवता हैं, जिनके पूरे विश्व को प्रत्यक्ष तौर पर दर्शन होते हैं. इतना ही नहीं सूर्य देवता को शक्ति का स्रोत माना गया है. ऐसा माना जाता है कि सूर्य देव के दर्शन से कई रोगों से मुक्ति मिलती है.खास बात यह है कि सूर्य देवता एकमात्र ऐसे देवता भी है, जिनकी अगर आप पूजा ना भी करें तो वह आपको प्रत्यक्ष तौर पर दर्शन जरूर देते हैं. भारत में सूर्य देव के कई दैविक स्थान मौजूद है और आज हम आपको मध्य प्रदेश के शहर जबलपुर के ऐसे ही एक सूर्य देव के मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो की जबलपुर का इकलौता और सबसे पहला सूर्य देव का मंदिर है.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य देव प्रत्यक्ष रूप से दर्शन देने वाले देवता हैं. पौराणिक वेदों में सूर्य का उल्लेख विश्व की आत्मा और ईश्वर के नेत्र के तौर पर किया गया है. सूर्यदेव की पूजा से जीवनशक्ति, मानसिक शांति, ऊर्जा और जीवन में सफलता की प्राप्ति होती है. यही वजह है कि लोग उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं. मान्यता यह भी है कि सूर्य देव का व्रत रखने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं. रामायण में भी इस बात का जिक्र है कि भगवान राम ने लंका के लिए सेतु निर्माण से पहले सूर्य देव की आराधना की थी. भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र सांब ने भी सूर्य की आराधना करके ही कुष्ठ रोग से मुक्ति पाई थी.
जबलपुर के संविधान चौक पर स्थित सूर्य देव के इस मंदिर की नींव सन 1981 में रखी गई थी. इस मंदिर की स्थापना रघुवंशी रविदास के द्वारा की गई थी. इस मंदिर के पुजारी ने कहा कि सूर्य देव का यह मंदिर जबलपुर शहर का इकलौता और सबसे पहला भगवान सूर्यदेव का मंदिर है. इस मंदिर से कई भक्तों की विशेष आस्था जुड़ी हुई है.यहां दूर विदेश में रहने वाले भक्त भी जो इस मंदिर से जुड़े हुए हैं जब भी उनका शहर आना होता है वह यहां जरूर आते हैं साथ ही सूर्य भगवान के 12 नाम के साथ रोजाना सुबह-सुबह सूर्य भगवान को जल चढ़ाने से रोगों से मुक्ति तो मिलती ही है साथ ही मनचाहा वरदान भी मिलता है.मंदिर में स्थापित सूर्य देव की यह प्रतिमा भी पूरे शहर में एक ही ऐसी अनोखी प्रतिमा है जिसमें सूर्य देव अपने 7 अश्वों वाले रथ पर विराजित है और इसे देखकर ऐसा प्रतीत होता है की सूर्य देव अपने रथ पर बैठकर पृथ्वी के दौरे पर निकले हुए हैं.