चित्रकूट में कादमगिरी की भी संध्या आरती शुरू, जानिए इस पर्वत का महत्व, श्रीराम ने दिया था क्या वरदान

चित्रकूट में कादमगिरी की भी संध्या आरती शुरू, जानिए इस पर्वत का महत्व, श्रीराम ने दिया था क्या वरदान

चित्रकूट. चित्रकूट के घाट पर सिर्फ संतन की ही नहीं श्रद्धालुओं की भी भीड़ रहती है. हिंदुओं के इस पवित्र तीर्थस्थल का अपना अलग महत्व है. चाहें राम की बात हो या तुलसीदास की चित्रकूट का जिक्र हर जगह मौजूद है. चित्रकूट के कादमकदगिरी पर्वत की भी आरती शुरू हो गयी है.

चित्रकूट धाम मंदाकनी नदी के किनारे बसा हुआ है. यहां के कण-कण में भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण की यादें बसी हुई हैं. भगवान श्री राम की तपोस्थली चित्रकूट में अगर आप घूमने का मन बना रहे हैं तो अब आपको दो जगह आरती में शामिल होने का सौभाग्य मिलेगा. साधु संतों की मांग के बाद प्रशासन ने अब कामदगिरि पर्वत की भी आरती शुरू कर दी है.

रामघाट के बाद कादमगिरी में भी संध्या आरती
कामदगिरि गिरी पर्वत चित्रकूट के परिक्रमा मार्ग पर है. यहां अब रोज शाम 6:30 बजे बनारस की तर्ज पर आरती होगी. अभी तक सिर्फ रामघाट में बनारस की तर्ज पर आरती हुआ करती थी. लेकिन अब कामदगिरिपर्वत की भी आरती शुरू हो गयी है. इस तरह श्रद्धालुओं को चित्रकूट में रोज शाम दो जगह आरती का अवसर मिलेगा. कामदगिरि पर्वत की 5 कि.मी. लंबी परिक्रमा की शुरुआत रामघाट में डुबकी के साथ होती है.
जानिए क्यों खास है कामदगिरि पर्वत
मान्यता है प्रभु श्री राम अपने वनवास काल में कादमगिरी पर्वत में रहते थे. यहां से जाने के बाद उन्होंने इस पर्वत को वरदान दिया था जो भी भक्त इस पहाड़ के दर्शन करेगा उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी. चित्रकूट धाम की यात्रा भी इस पर्वत की परिक्रमा के बाद ही पूरी मानी जाएगी. हजारों श्रद्धालु मुराद लेकर यहां आते हैं और कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा करते हैं.
ऐसी है मान्यता
पुजारी शिव शंकर ने बताया कामदगिरि पर्वत की आरती श्री रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के दिन से शुरू हुई है. आरती के लिए सभी साधु संतों और भक्तों की इच्छा थी. यह आरती विपिन विराट महाराज के प्रयासों के बाद शुरू हुई.