मां महालक्ष्मी गौरा गौरी की प्रतिमा स्थापित कर की पूजा

भिलाई /ट्विनसिटी में विभिन्न स्थानों पर मां महालक्ष्मी गौरा-गौरी की प्रतिमा स्थापना कर विधिवत पूजा अर्चना की गई। प्रशांत कुमार क्षीरसागर ने बताया कि महाराष्ट्रीयन परिवारों के लिए यह बड़ा त्योहार के रूप में मनाया जाता है। धन और समृद्धि के साथ ही घर में सुख, शांति के लिए यह पर्व मनाया जाता है। अष्टमी के दिन महालक्ष्मीजी को छप्पन भोग लगाया जाता है। सोलह सब्जियों को एक साथ मिलाकर भोग लगाया जाता है। साथ ही ज्वार के आटे की अम्बिल और पूरन पोली का महाप्रसाद प्रमुख होता है।
भिलाई स्टील सिटी के विभिन्न सेक्टरों में स्थापित महालक्ष्मी की प्रतिमा। प्रतिमा गोंदे व नीता गोंदे रजनी गोंदे भिलाई निवासी ने बताया कि यहां पर महालक्ष्मी हम सब महाराष्ट्रीयन परंपरा, रीति-रिवाज, भक्ति भाव से श्री महालक्ष्मी जी का पूजन किया जाता है। घरों को सुंदरता से सजाया जाता है। देवी महालक्ष्मी का बेटी की तरह स्वागत किया जाता है। जो भी भक्त मन और श्रद्धा से पूजा करता है, उसे आशीर्वाद स्वरूप धन, संपन्नता, सुख, समृद्धि की प्राप्ति होती है।
उषा क्षीरसागर ने बताया कि आंबील और महाराष्ट्रीयन कढ़ी का विशेष प्रसाद महालक्ष्मी आगमन के प्रथम दिन बनाया जाता है। दूसरे दिन पारंपरिक भोजन प्रसाद तैयार किया जाता है। घर की सभी महिलाएं 16 प्रकार की सब्जियां, चटनी, प्रसाद, मिठाई और व्यंजन तैयार करती हैं। पूजा-अर्चना के बाद सभी परिवारजन व मित्र मिलकर आंबील, पुरणपोळी, भुजिया, करंजी का प्रसाद ग्रहण करते हैं और सभी को वितरित किया जाता है। इस अवसर पर “श्री महालक्ष्मी जी की जय, जय महा गौरी माता की जय, जय घोष” किया गया।
इस कार्यक्रम के अवसर पर प्रतिमा गोंदे, वनिता गोंदे, रजनी गोंदे, भरत गोंदे, नरेश गोंदे सहपरिवार, प्रशांत कुमार, उषा क्षीरसागर एवं मित्र बंधु उपस्थित थे।