डकैती मारपीट जैसे अपराधों में संलिप्त आरोपी को वन विभाग में दी गई सुरक्षा की जिम्मेदारी, थानों में कई मामले है दर्ज
महासमुंद। छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले से एक बड़ा मामला सामने आया है जिसमें डकैती मारपीट जैसे विभिन्न मामलों के अपराधी को गेस्ट हाउस की सुरक्षा का जिम्मेदारी दी गई है। इसकी शिकायत वन मंडल अधिकारी महासमुंद से की गई है। पारस चंद्राकर न केवल अपने कर्तव्यों के प्रति लापरवाह एवं अनुशासनहीन है बल्कि वह एक आदतन अपराधिक प्रवृत्ति का भी है। अतः पारस चंद्राकर से कोई भी शासकीय कार्य लिया जाना अनुचित प्रतीत होता है। वहीं सूत्रों के अनुसार पारस चंद्राकर को रेंजर का संरक्षण प्राप्त होना बताया जाता है, जिस कारण इस मामले में कोई कार्रवाई अबतक नहीं हुई है।शिकायत में बताया गया है कि वनमंडल के बागबाहरा परिक्षेत्र अंतर्गत कार्यरत दैनिक वेतन भोगी पारस चंद्राकर पिता तिलक चंद्राकर शुरू से ही एक अपराधिक प्रवृत्ति का व्यक्ति है। पारस चंद्राकर/तिलक चंद्राकर पर छत्तीसगढ़ तथा ओडिशा राज्य के थानों में विभिन्न अपराधिक मामले दर्ज हैं। वह कभी भी अपने ड्यूटी पर उपस्थित नही रहता । साथ ही हमेशा अपराधिक कार्यों में संलग्न रहता है। ऐसे अपराधिक प्रवृति के लोगों से शासकीय कार्य कराये जाने पर कार्य की गुणवत्ता पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है, साथ ही विभाग की छवि भी खराब हो रही है।पारस चंद्राकर बागबाहरा वन परिक्षेत्र में आकस्मिक श्रमिक के रूप में कार्यरत है, जिनसे
कई आपराधिक मामले हैं दर्ज
शिकायतकर्ता के अनुसार पारस चंद्राकर पिता तिलक चंद्राकर के विरूद्ध थाना-बागबाहरा जिला महासमुन्द में डकैती, मारपीट, हमला करने, बिना अनुमति दूसरे के घर मे प्रवेश करने, जानबूझकर असुरक्षित वाहन चलाकर दूसरो के जीवन खतरे में डालना, घायल करना, अपने परिसर में लोगो को इकट्ठा करके जुआ खेलाना जैसे अनेक मामले IPC की विभिन्न धाराओं में (1) 06/2023 धारा 13 जुआ एक्त
(2) 149/2013 धारा 294,232,506,34,307 भा.द.वि
(3) 210/2013 धारा 294,232,506,34 भा.द.वि
(4) 351/2009 धारा 279,337 भा.द.वि
(5) 144/2004 धारा 452,294,323,506,34 भा.द.वि
(6) 527/2004 धारा 395 भा.द.वि केस दर्ज है, जो कि वर्तमान में न्यायालय में विचाराधीन है। इसके साथ ही उड़ीसा प्रांत के जिला-नुआपाड़ा, थाना-जोंक में भी पारस चंद्राकर पिता तिलक चंद्राकर के विरूद्ध अनेक मामले (7) 22/2006 (8) 65/2006 केस दर्ज है, जोकि वर्तमान में न्यायालय में विचाराधीन है।
बागबाहरा मुख्यालय स्थित आवासीय परिसर में रात्रिकालीन चौकीदार के रूप में कार्य लिया जा रहा था। अपने कर्तव्य में लापरवाही किये जाने, कार्य मे उपस्थित न होने के संबंध में पारस चंद्राकर को कई बार समझाईश दी गई, इसके बावजूद उनकी कार्यशैली में कोई सुधार नही पाया गया। अतः उनसे रात्रिकालीन चौकीदारी की जगह निरीक्षण कुटीर बागबाहरा में दिन में रहकर कार्य करने हेतु पारस को निर्देशित किया गया। उसके बाद भी वह अपने कार्य पर उपस्थित नही हुआ।