ननों की गिरफ्तारी का मामला: दुर्ग कोर्ट का सुनवाई से इनकार कहा- बने हैं स्पेशल कोर्ट

दुर्ग l मानव तस्करी और धर्मांतरण के आरोप में दो कैथोलिक नन प्रीति मैरी, वंदना फ्रांसिस और एक अन्य सुखमन मंडावी की जमानत को लेकर कोर्ट ने सुनवाई से इंकार कर दिया। कोर्ट ने नए कानूनों का हवाला देते हुए यह स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों की सुनवाई का अधिकार इस न्यायालय को नहीं है। इसके लिए विशेष न्यायालयों का गठन किया गया। इस पर नन की तरफ से पैरवी कर रहे अधिवक्ता राजकुमार तिवारी ने कहा कि इससे पहले प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट के न्यायालय में जमानत याचिका की सुनवाई हुई, आवेदन को खारिज किया गया।
लेकर पूरे देश में बवाल जारी है। मामला लोकसभा में उठा। कांग्रेस और उनके सहयोगी दलों के सांसदों ने लोकसभा के बाहर विरोध दर्ज कराया। राहुल गांधी, वेणुगोपाल, प्रियंका गांधी वाड्रा, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार में धर्म विशेष को परेशान करने का आरोप लगाया। छत्तीसगढ़ बजरंग दल के रवि निगम ने मामले में शिकायत की है। आरोप है कि दो लड़कियों को धर्मांतरण के लिए आगरा ले जाया जा रहा था। मामले में स्टेशन में हंगामे के बाद पुलिस ने दुहनिया डिंगौरी की प्रीति मैरी, सिविल लाइन आगरा की वंदना फ्रांसिस, मरकाबाड़ा हजारीमेटा नारायणपुर सुखमन मंडावी को गिरफ्तार किया गया है।
इस मामले में राज्यसभा की पूर्व सांसद और पोलित ब्यूरो सदस्य वृंदा करात ने नन से मुलाकात की। एक दिन पहले उन्हें दोनों नन से मिलने नहीं दिया गया था। बुधवार को उन्होंने इस मामले को लेकर कहा कि पुलिस के सामने जिस प्रकार से आदिवासी लड़कियों और गिरफ्तार किए गए लड़के को मारा गया, वह ने हस्तक्षेप किया, तो एक लड़की रो रही थी। पूछताछ पर उसने बताया कि उसे जबरदस्ती लाया गया है और वह अपने घर जाना चाहती है। तुरंत उसके परिवार और जीजा से संपर्क किया गया। जीआरपी पुलिस को सूचित किया गया। अब इस मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका वाड्रा सहित अन्य विपक्षी सांसद भ्रामक जानकारी फैला रहे हैं। घटना को गलत तरीके से पेश कर रहे हैं।
राहुल गांधी और विपक्षी सांसदों ने फैलाई भ्रामक जानकारी :सांसद बघेल
सांसद विजय बघेल ने लोकसभा के मानसून सत्र में आदिवासी लड़कियों के धर्मांतरण की घटना को शून्यकाल के दौरान संसद में उठाया। दो भोली-भाली आदिवासी लड़कियों को बहला-फुसलाकर लाया गया। इन लड़कियों को आगरा ले जाने के लिए टिकट भी कराया। वहां मौजूद कुछ सतर्क नागरिकों निंदनीय है। लड़कियां बालिग है। इसके बाद भी उन्हें डरा धमकाकर गलत तरीके से बयान लिखवाए गए। दोनों नन जो पिछले 40 साल से सेवा दें रही हैं। अस्पतालों में गरीबों के बीच काम कर रही हैं। उनको धमकाया गया। देश में ऐसे हालात बना दिए गए हैं, कि सिर शर्म से झुक रहा है। इस मामले में पुलिस की कार्रवाई और छत्तीसगढ़ सरकार की बड़ी लापरवाही है। वे इस मामले को लेकर कोर्ट तक जाएंगी।