राजधानी के मास्टर प्लान 2031 में लगातार गड़बड़ियां सामने आ रही
रायपुर। राजधानी के मास्टर प्लान 2031 में लगातार गड़बड़ियां सामने आ रही हैं। बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए लैंड यूज बदलकर 200 करोड़ का गोलमाल हुआ है। यही नहीं, भ्रष्टाचार छिपाने के लिए सड़कें भी गायब कर दी गईं। मामला इस तरह है कि नगरीय क्षेत्र के बाहर जिन इलाकों का विकास किया जाता है वहां टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (टीएनसीपी) से अनुमति लेनी होती है। कई बिल्डरों को कॉलोनी बनाने की अनुमति तब दी गई,जब उन्होंने 40 से 120 फीट की सड़कें दिखाई। मौके पर यह सड़कें इतनी चौड़ी बनी ही नहीं। अब जब मास्टर प्लान में ये इलाके शामिल किए गए तो नियमानुसार इन सड़कों को दर्शाना अनिवार्य था।लेकिन अगर ऐसा होता तो सड़क की जगह पर बने अवैध मकानों को तोड़ना पड़ता। टीएंडसीपी के अफसरों ने इसलिए मार्ग संरचना मानचित्र में मौजूद सड़कों को ही गायब कर दिया। इसका खुलासा तब हुआ, जब भाजपा आरटीआई सेल ने इस मामले की जांच की और रिपोर्ट आवास एवं पर्यावरण मंत्री ओपी चौधरी को सौंपी।बांगड़े ने बनवाया मास्टर प्लान: जांच रिपोर्ट में मास्टर प्लान 2031 में हुई गड़बड़ियों के लिए टीएंडसीपी के अपर संचालक संदीप बांगड़े को जिम्मेदार ठहराया गया है। बांगड़े एक ही समय पर दो पदों पर थे। रायपुर विकास योजना पुनर्विलोकित 2031 तैयार करने के लिए एक समिति गठित की गई।इसका काम विकास योजना के प्रस्तावों की रूपरेखा तैयार करना, विकास योजना के प्रारूप को प्रकाशन हेतु तैयार करना है। इसके बाद आम जनता से प्राप्त आपत्ति और सुझावों पर विचार-विमर्श कर सुनवाई करना और मंजूरी के लिए शासन को भेजना है। इसके संयोजक क्षेत्रीय कार्यालय टीएंडसीपी रायपुर के संयुक्त संचालक संदीप बांगड़े थे। साथ ही वे अपर संचालक भी थे। ऐसी स्थिति में क्षेत्रीय कार्यालय से वे जो भी सिफारिश करते उसे संचालनालय में खुद ही पास कर देते। यही वजह है कि बांगड़ द्वारा की गई अनियमितताओं को संचालनालय स्तर पर जांचा ही नहीं गया।सड़कों का समन्वय ही नहीं किया गया 2014 में रायपुर निवेश क्षेत्र के नियंत्रित विकास के लिए मार्ग संरचना मानचित्र तैयार किया गया। इसमें महत्वपूर्ण नए मार्ग की चौड़ाई 18 मीटर, 24 मीटर और 30 मीटर प्रस्तावित की गई। इसके आधार पर सैकड़ों परमिशन आवासीय, वाणिज्यिक, औद्योगिक, सार्वजनिक व अर्धसार्वजनिक प्रयोजन के लिए टीएंडसीपी ने जारी की।अब नए मास्टर प्लान में इन पुरानी विकास योजना और वर्तमान विकास एवं प्रस्तावित विकास योजना में समन्वय बैठाकर प्लान तैयार करना था। बांगड़े ने स्ट्रक्चरल प्लान में दर्शाए गए मार्गों को विकास योजना 2031 में दिखाया ही नहीं। इस तथ्य से शासन द्वारा गठित समिति को अनभिज्ञ रखा गया। जिसका खुलासा समिति की बैठकों के मिनिटस के सामने आने के बाद हुआ है।अफसरों के खिलाफ एफआईआर की मांग भाजपा आरटीआई प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ. विजय शंकर मिश्रा ने मास्टर प्लान में हुई गड़बड़ी शिकायत मंत्री के अलावा एसीबी को भी की है। उनका कहना है कि बिल्डरों को लाभ पहुंचाने संदीप बांगड़े और तत्कालीन प्रशासनिक अफसरों ने कई बदलाव किए। इसमें पूर्व मंत्री का संरक्षण रहा है। पैसे लेकर जमीनों के लैंड यूज बदले गए हैं। इसके सबूत भी हैं।