महादेव सट्टा एप के प्रमोटर सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल के खिलाफ जारी गैर-जमानती वारंट को चुनौती देने के लिए उन्होंने हाई कोर्ट का रुख किया

महादेव सट्टा एप के प्रमोटर सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल के खिलाफ जारी गैर-जमानती वारंट को चुनौती देने के लिए उन्होंने हाई कोर्ट का रुख किया

बिलासपुर। महादेव सट्टा एप के प्रमोटर सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल के खिलाफ जारी गैर-जमानती वारंट को चुनौती देने के लिए उन्होंने हाई कोर्ट का रुख किया है। प्रसिद्ध अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने इस मामले में उनकी पैरवी की। रायपुर की विशेष अदालत द्वारा जारी इस वारंट के खिलाफ याचिका दायर करते हुए यह कहा गया कि अदालत ने अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर यह कार्रवाई की है। कपिल सिब्बल ने अदालत के समक्ष दलील दी कि रायपुर स्थित प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की अदालत ने जो वारंट जारी किया है, वह गैर-वैध है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की कार्रवाई एक निश्चित क्षेत्राधिकार में ही हो सकती है और ईडी को किसी को गिरफ्तार करने के लिए यह अदालत निर्देशित नहीं कर सकती, खासकर जब अभियुक्त विदेश में हों। सिब्बल का तर्क था कि प्रत्यर्पण का अधिकार केंद्र सरकार के पास है, लेकिन अभी तक सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। मिडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक महादेव सट्टा एप के मामले की जांच पहले से ईडी द्वारा की जा रही थी, जिसके बाद सीबीआई ने भी इसकी जांच शुरू कर दी। एप से जुड़े प्रमोटरों पर आरोप है कि वे अवैध सट्टेबाजी के माध्यम से एक बड़ा आर्थिक साम्राज्य खड़ा कर चुके हैं। ईडी ने अदालत में यह दावा किया था कि कुछ दिग्गजों द्वारा एप संचालकों को 508 करोड़ रुपए दिए थे। इस मामले में कई राजनेता, वरिष्ठ अधिकारी, पुलिसकर्मी और पत्रकारों की भूमिका भी जांच के घेरे में है।सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल, दोनों छत्तीसगढ़ के भिलाई से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने महादेव गेमिंग-बेटिंग एप के जरिए ऑनलाइन सट्टेबाजी का कारोबार शुरू किया था। अब यह एप करीब 20,000 करोड़ रुपए का व्यापार कर रहा है। शुरुआती दौर में दोनों ने इसे छत्तीसगढ़ से संचालित किया, लेकिन जैसे-जैसे इसका व्यापार बढ़ता गया, इसे दुबई स्थानांतरित कर दिया गया। इस मामले ने राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है। जिनमे नामी गिरामी व कई बड़े अधिकारियों का नाम इस एप से जुड़ने के आरोप सामने आ चुके हैं। आज की सुनवाई अधूरी रही, और अब कल इस पर आगे की सुनवाई होगी।