पूर्व PM मनमोहन सिंह का निधन, सात दिनों का राष्ट्रीय शोक घोषित

पूर्व PM मनमोहन सिंह का निधन, सात दिनों का राष्ट्रीय शोक घोषित

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का निधन हो गया है। पूर्व पीएम ने 92 साल की उम्र में अंतिम सांस ली है। बता दें कि पीटीआई के मुताबिक, डॉ. मनमोहन सिंह को स्वास्थ्य संबंधी समस्या के बाद एम्स दिल्ली के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया था। 9 बजकर 51 मिनट पर उन्होंने दुनिया को अलविदा कहा। डॉ. मनमोहन सिंह ने साल 2004 से लेकर 2014 तक यूपीए की सरकार में भारत के प्रधानमंत्री का पद संभाला था। उनके निधन पर भारत के राजनीतिक समेत विभिन्न क्षेत्र के हस्तियों की ओर से शोक संदेश आ रहे हैं।

दिल्ली कांग्रेस ने किया कंफर्म

दिल्ली कांग्रेस ने लिखा- “प्रख्यात अर्थशास्त्री और देश के पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय मनमोहन सिंह जी का निधन भारतीय राजनीति की अपूरणीय क्षति है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति और उनके परिजनों को यह दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करें। दिल्ली कांग्रेस परिवार आदरणीय मनमोहन जी की स्मृतियों को नमन करता है और राष्ट्रनिर्माण में दिये उनके योगदान के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता है। ॐ शान्ति”

7 दिन का राष्ट्रीय शोक

पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह के निधन पर पीएम मोदी समेत तमाम नेताओं और हस्तियों ने दुख व्यक्त किया है। पूर्व पीएम के निधन पर 7 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया है। केंद्र सरकार की ओर से कल होने वाले सभी सरकारी कार्यक्रम रद्द रहेंगे। कल सुबह 11 बजे कैबिनेट की बैठक होगी। इसके बाद डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।

अप्रैल में राज्यसभा से रिटायर हुए थे

बीते 26 सितंबर 2024 को डॉ. मनमोहन सिंह 92 साल के हो गए थे। मनमोहन सिंह का जन्म साल 1932 में अविभाजित भारत में हुआ था। जहां उनका जन्म हुआ आज वह क्षेत्र पाकिस्तान के पंजाब में पड़ता है। आपको बता दें कि मनमोहन सिंह को भारत में आर्थिक सुधारों के प्रमुख वास्तुकार के रूप में श्रेय दिया जाता है।

पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री थे। वह संसद के उच्च सदन राज्यसभा के सदस्य थे। मनमोहन सिंह ने 21 मार्च, 1998 से लेकर 21 मई 2004 तक सदन में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी भी संभाली थी। डॉक्टर मनमोहन सिंह इसी साल अप्रैल महीने में राज्यसभा से रिटायर हुए थे जिसके बाद उनके एक प्रतिष्ठित संसदीय करियर का अंत हुआ था।