जमीन लेकर मुआवजा देना भूल गई कंपनी, अपने हक के लिए दर-दर भटक रहे हैं किसान
जशपुर ।जशपुर जिले के पत्थलगांव ब्लॉक के बुढ़ा डांडा गांव के 50 से अधिक किसान अपनी जमीन के अधिग्रहण का मुआवजा न मिलने से परेशान हैं. पिछले पांच सालों से मुआवजा न मिलने के कारण किसानों ने सड़क निर्माण एजेंसी का काम बंद करा कर एक सप्ताह से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि उनकी समस्याओं को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है, जिससे उनके परिवारों की आजीविका पर संकट मंडरा रहा है।
बार-बार मुआवजा वितरण की तारीख बदलने से परेशान हैं किसान
किसानों का कहना है कि मुआवजा भुगतान के लिए कई बार तिथियों में बदलाव किया गया, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. इस देरी के कारण किसान आर्थिक रूप से कमजोर हो गए हैं. साथ ही, सड़क निर्माण कंपनी के कर्मचारियों पर दुर्व्यवहार का आरोप लगाते हुए किसानों ने कहा कि वे बार-बार उनका शोषण कर रहे हैं.
सड़क के बीच धरना प्रदर्शन
आक्रोशित किसानों ने निर्माणाधीन सड़क के बीचो बीच बैठकर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया. उनका कहना है कि जब तक उन्हें उनकी जमीन और फसलों का उचित मुआवजा नहीं मिलेगा, तब तक वे सड़क निर्माण कार्य को आगे नहीं बढ़ने देंगे. इस सिलसिले में पीड़ित किसान नारायण प्रधान ने बताया कि हमने बार-बार अधिकारियों से गुहार लगाई, लेकिन अब तक मुआवजा नहीं मिला. फसलें बर्बाद हो गईं और अब सड़क निर्माण कंपनी हमें परेशान कर रही है. वहीं, दूसरे किसान सुरेश ने कहा कि हम अपनी जमीन और मेहनत के लिए न्याय चाहते हैं. हर बार तिथि बढ़ाई जाती है, लेकिन मुआवजा नहीं मिलता. चमरा राम राठिया ने बताया कि कंपनी के कर्मचारी हमारे साथ दुर्व्यवहार करते हैं. हमें मजबूर होकर सड़क निर्माण रोकना पड़ा.
विधायक गोमती साय से मिले किसान
धरना आंदोलन के बीच, पीड़ित किसानों ने सरगुजा विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष और पत्थलगांव की विधायक गोमती साय से मुलाकात की. किसानों ने अपनी परेशानी बताते हुए कहा कि सड़क निर्माण एजेंसी ने उनकी फसल और जमीन का उचित मुआवजा दिए बिना उनके खेतों को जेसीबी से रौंद दिया. गोमती साय ने किसानों की समस्या को गंभीरता से सुनते हुए राजस्व अधिकारियों से चर्चा की और जल्द से जल्द मुआवजा प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए.
विधायक ने दिए त्वरित कार्रवाई के निर्देश
विधायक गोमती साय ने किसानों को भरोसा दिलाया कि उनकी समस्याओं का समाधान जल्द किया जाएगा. उन्होंने राजस्व अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि मुआवजे का भुगतान जल्द से जल्द सुनिश्चित किया जाए।बुढ़ा डांडा गांव के किसानों की यह समस्या केवल मुआवजे की देरी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रशासनिक सुस्ती और किसानों की उपेक्षा का उदाहरण भी है. समय पर उचित कदम उठाए जाने से न केवल किसानों की परेशानी दूर होगी, बल्कि विकास कार्य भी सुचारू रूप से आगे बढ़ पाएंगे।