रायपुर में कंप्यूटर सेंटर संचालक को फर्जी दस्तावेज बनाने के आरोप में टिकरापारा पुलिस ने किया गिरफ्तार
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रायपुर। रायपुर में एक कंप्यूटर सेंटर संचालक मोहम्मद आरिफ को फर्जी दस्तावेज बनाने के आरोप में टिकरापारा पुलिस ने गिरफ्तार किया है। उससे गहन पूछताछ की जा रही है, जबकि उसका सहयोगी शेख अली फरार है और पुलिस उसकी तलाश कर रही है। जांच के दौरान खुलासा हुआ कि आरिफ ने कई व्यक्तियों के लिए जाली वोटर आईडी कार्ड, अंकसूची और फोटो पहचान पत्र तैयार किए थे।मोहम्मद आरिफ और शेख अली मिलकर एक संगठित गिरोह चला रहे थे, जो अवैध रूप से लोगों के लिए नकली दस्तावेज बनाकर उन्हें विदेश भेजने में मदद करता था। पुलिस को जांच के दौरान आरिफ के कंप्यूटर से संदेहास्पद डेटा भी प्राप्त हुआ है, जिसकी गहन जांच जारी है।पिछले सप्ताह रायपुर पुलिस और एटीएस ने मुंबई एयरपोर्ट से तीन बांग्लादेशी भाइयों को गिरफ्तार किया था। वे बगदाद (इराक) भागने की फिराक में थे लेकिन पकड़े गए। जांच में पता चला कि उन्होंने रायपुर से ही अपने सभी फर्जी दस्तावेज तैयार कराए थे।गिरफ्तार बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान मोहम्मद इस्माइल (27), शेख अकबर (23) और शेख साजन (22) के रूप में हुई है। पुलिस ने तीन दिन की न्यायिक रिमांड लेने के बाद उन्हें जेल भेज दिया है।रायपुर में रहते हुए इन तीनों ने भारतीय दस्तावेज जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड और वोटर आईडी कार्ड बनवा लिए थे। यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) लागू होने के कारण पकड़े जाने का डर था, इसलिए उन्होंने अपनी जन्मतिथि के लिए जाली प्रमाण पत्र बनवाए। इसके अलावा, इन्होंने नकली मार्कशीट भी तैयार करवाई। इन दस्तावेजों को बनाने में कंप्यूटर सेंटर संचालक मोहम्मद आरिफ की भूमिका थी। उस पर पहले भी कई लोगों के लिए जाली दस्तावेज बनाने और उन्हें इराक भेजने का आरोप है। कई लोग, जिन्हें उसने भेजा था, अब तक भारत नहीं लौटे हैं।तीनों आरोपियों को पुलिस ने 26 जनवरी 2025 को मुंबई में पकड़ा। वे फर्जी दस्तावेजों की मदद से बगदाद जाने के लिए हावड़ा-मुंबई मेल ट्रेन से मुंबई पहुंचे थे। रायपुर पुलिस और एटीएस को इस बारे में सूचना मिली, जिसके बाद वे मुंबई पहुंचे और 8 फरवरी को मुंबई एटीएस की सहायता से पायधुनी इलाके से तीनों को गिरफ्तार किया।इनके पास से भारतीय पासपोर्ट, आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी और बगदाद का वीजा बरामद किया गया। पूछताछ में उन्होंने बताया कि वे धार्मिक यात्रा के बहाने बगदाद जाकर वहीं छिपने की योजना बना रहे थे और भारत वापस लौटने का इरादा नहीं था।इस पूरे मामले से यह स्पष्ट हुआ कि मोहम्मद आरिफ और शेख अली जैसे अपराधी संगठित रूप से फर्जी दस्तावेज तैयार करने का नेटवर्क चला रहे थे और लोगों को अवैध रूप से विदेश भेज रहे थे। पुलिस इस गिरोह की अन्य गतिविधियों की भी जांच कर रही है।गिरफ्तार तीनों आरोपियों के परिवार के सदस्य—पिता शमसुद्दीन, मां रशीदा, भाई अजगर, बहन सुरैया, इस्माइल की पत्नी यास्मीन और उनकी दो बेटियां—बांग्लादेश में ही रह रहे हैं।