महाशिवरात्रि के दिन महादेव पर क्यों चढ़ाते हैं बेर
हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है. हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुदर्शी तिथि को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है. इस दिन शिव भक्त पूरे विधि-विधान के साथ माता पार्वती और भोलेनाथ की आराधना करते हैं. इस साल महाशिवरात्रि 8 मार्च को है. महाशिवरात्रि को भक्त दिन भर भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं और विभिन्न तरह का प्रसाद चढ़ाते हैं. इन्हीं में से एक फल है बेर, जिसका शिवरात्रि पर खास महत्व है.
भगवान शिव को यह फल अतिप्रिय है. दरअसल बेर एक मौसमी फल है, जो आकार में छोटा लेकिन सबका पसंदीदा होता है. इसके अलावा यह कई पोषक तत्वों से भरपूर भी होता है. इसमें विटामिन सी, कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस, पोटेशियम के साथ जस्ता जैसे कई पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जो इम्युनिटी बूस्ट करने में काफी मददगार हैं. साथ ही इसका धार्मिक महत्व भी है.
क्यों चढ़ाया जाता है बेर?
उत्तराखंड के चमोली निवासी पंडित मदन मैखुरी बताते हैं कि सनातन धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है. इस दिन भक्त भोलेनाथ के मंदिर जाते हैं, शिवलिंग पर जल, दूध, शहद, बेलपत्र आदि अर्पित करते हैं और उन्हें फल के रूप में बेर चढ़ाते हैं. मान्यता है कि भोलेनाथ कैलाश पर्वत पर रहते हैं क्योंकि पहाड़ों में अक्सर फलाहार के रूप में कंदमूल फलों का ही सेवन किया जाता रहा है. इसीलिए भक्त आज भी प्रसाद रूप में भोलेनाथ को कंदमूल चढ़ाते हैं. वह आगे कहते हैं कि शिवरात्रि पर जो भी भक्त अपनी मनोकामना लेकर भोलेनाथ को जल चढ़ाते हैं, उन्हें प्रसाद के रूप में बेर आदि चढ़ाते हैं, भगवान शिव निश्चित रूप से उनकी इच्छा पूरी करते हैं.