बच्चों को सही दिशा, संवेदनशील वातावरण और विधिक सुरक्षा देना हमारा सामाजिक कर्तव्य:कुजूर,राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस के उपलक्ष्य में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में कार्यशाला का आयोजन 

बच्चों को सही दिशा, संवेदनशील वातावरण और विधिक सुरक्षा देना हमारा सामाजिक कर्तव्य:कुजूर,राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस के उपलक्ष्य में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में कार्यशाला का आयोजन 

दुर्ग। उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ के मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की संवेदनशील एवं दूरदर्शी न्यायिक दृष्टि के अनुरूप, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, दुर्ग ने इस वर्ष विधिक सेवा दिवस को केवल एक दिवस तक सीमित न रखते हुए इसे “विधिक सेवा माह” के रूप में समर्पित किया है। यह अभियान बाल अधिकार संरक्षण, पीड़ितोन्मुख न्याय, विधिक जागरूकता, तथा पुनर्वास एवं सुधार आधारित न्यायिक दृष्टिकोण को सशक्त करने हेतु केंद्रित है। इसी कड़ी में बाल अपराध एवं सुरक्षा विषयक कार्यशाला का आयोजन रविवार 09  नवंबर को जिला न्यायालय दुर्ग के नवीन सभागार में किया गया। 
आयोजन की अध्यक्षता प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के अध्यक्ष विनोद कुजूर ने की। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में श्री कुजूर ने कहा कि—“बच्चे केवल आज के नागरिक नहीं, बल्कि कल के राष्ट्रनिर्माता हैं। उन्हें सही दिशा, संवेदनशील वातावरण और विधिक सुरक्षा प्रदान करना केवल प्रशासनिक दायित्व नहीं, बल्कि सामाजिक कर्तव्य है। कार्यक्रम में उपस्थित कलेक्टर अभिजीत सिंह ने अपने उद्बोधन में बाल संरक्षण और समाज निर्माण के सूक्ष्म एवं मानवीय आयामों पर प्रकाश डालते हुए आश्वस्त किया कि आगामी कार्यक्रम जिला न्यायालय और जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में संचालित किए जाएंगे, तथा जिला प्रशासन द्वारा पूर्ण सहयोग प्रदान किया जाएगा।
इस दौरान पुलिस महानिरीक्षक रामगोपाल गर्ग ने पॉक्सो और बाल सुरक्षा कानूनों के तकनीकी एवं न्यायिक अनुप्रयोग पर विवेचना अधिकारियों को मार्गदर्शन दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में जाँच और अभियोजन अत्यंत संवेदनशील, वैज्ञानिक और प्रमाण-आधारित होना चाहिए। उन्होंने यह भी आश्वस्त किया— “पूरे पुलिस विभाग की ओर से जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को पूर्ण समर्थन एवं सहयोग लगातार प्रदान किया जाएगा।” इस अवसर पर एसपी विजय अग्रवाल ने कहा कि बाल न्याय प्रणाली केवल सुनवाई और निर्णय का ढांचा नहीं, बल्कि एक समग्र पुनर्वास मॉडल है, जिसमें बच्चे को संपूर्ण व्यक्तित्व के रूप में देखा जाता है।
 अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पद्मश्री तंवर ने नशा मुक्ति अभियान की रणनीतियों एवं पॉक्सो मामलों की संवेदनशीलता और संतुलित विधिक दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला। 
जिला एवं अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनिल दुबे ने न्यायिक प्रक्रिया के व्यावहारिक एवं तकनीकी पक्षों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बाल-संबंधित मामलों में न्यायालय, पुलिस, शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग और परिवार—सभी की संयुक्त भूमिका आवश्यक है। जिला एवं अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अवध किशोर ने बाल अपराध एवं सुरक्षा पर अपने उद्बोधन में कहा कि बाल संरक्षण की अवधारणा का मूल उद्देश्य केवल विधिक दंड निर्धारण नहीं, बल्कि समाज के सबसे संवेदनशील वर्ग बच्चों—को सही वातावरण, मार्गदर्शन और सुरक्षा प्रदान करना है। अधिवक्ता संघ दुर्ग की अध्यक्ष नीता जैन ने कहा कि बाल अपराध केवल कानून का विषय नहीं, यह माता-पिता की भागीदारी, संवाद और सतर्कता से भी गहराई से जुड़ा है। 

नवाचार आधारित न्यायिक पहल — भविष्य की दिशा

किशोर न्याय बोर्ड के प्रधान मजिस्ट्रेट भगवान दास पनिका ने किशोर न्याय अधिनियम की तकनीकी बारीकियों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में द्विजेन्द्रनाथ ठाकुर, सिविल जज वरिष्ठ श्रेणी ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा नवाचारी विधिक जागरूकता कार्यक्रमों और बाल-संवेदनशील समुदायों में होने वाले आगामी कार्यक्रमों की रूपरेखा प्रस्तुत की। कार्यक्रम में स्वागत उद्बोधन जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव उमेश भागवतकर ने एवं धन्यवाद ज्ञापन भूपेन्द्र कुमार बसंत ने दिया। कार्यक्रम के दौरान जिला अधिवक्ता संघ दुर्ग के सचिव रविशंकर सिंह, अन्य अधिवक्तागण, अभियोजन अधिकारी, पैरा लिगल वालंटीयर, नगर निगम एवं प्रशासन के विभिन्न विभागों के प्रतिनिधि उपस्थित रहें। 

चित्र प्रदर्शनी — न्याय का मानवीय स्वरूप

समापन सत्र में केंद्रीय जेल दुर्ग में निरुद्ध बंदियों एवं पैरा–लीगल वालंटियर्स द्वारा निर्मित चित्रों की प्रदर्शनी का अवलोकन अतिथियों ने किया। जिसने यह पुनः रेखांकित किया कि— “न्याय का उद्देश्य केवल दण्ड देना नहीं, बल्कि सुधार, पुनर्स्थापना और मनुष्य में निहित उजाले को पुनः जागृत करना भी है।”

बाल सुरक्षा ब्रिगेड शीघ्र होगी  प्रारंभ

आयोजन में जानकारी दी गई कि विधिक सेवा माह के अंतर्गत शीघ्र ही जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, जिला प्रशासन एवं स्कूल शिक्षा विभाग के संयुक्त समन्वय से “बाल सुरक्षा ब्रिगेड” का शुभारंभ किया जाएगा। यह ब्रिगेड विद्यालयों में बच्चों को—सुरक्षा, आत्मविश्वास, जागरूकता, नशा एवं शोषण से बचाव, और सहपाठी सहायता प्रणाली के लिए प्रशिक्षित करेगी। यह अभियान केवल कार्यक्रम नहीं — एक सामाजिक जागृति, न्याय का मानवोन्मुख विस्तार और भविष्य की सुरक्षा का संकल्प है।