शहर के ज्यादातर इलाकों में ग्राउंड वाटर लेवल नीचे
शहर के ज्यादातर इलाकों में ग्राउंड वाटर लेवल नीचे जाने के साथ ही कई इलाकों में बोर सूखने लगे हैं। इसके बाद टैंकर ही एकमात्र विकल्प रह जाएंगे। शहर में अभी से सड्डू, मोवा, भनपुरी, टाटीबंध, हीरापुर, आमानाका और गुढि़यारी में रहने वाले 500 से 600 रुपए देकर रोज टैंकर मंगवा रहे हैं।निगम के टैंकर अभी चालू नहीं हुए हैं। अप्रैल से निगम के टैंकर भी दौड़ने लगेंगे। रायपुर और बीरगांव निगम हर साल करीब डेढ़ करोड़ रुपए टैंकर से पानी सप्लाई के लिए खर्च करता है। इस साल भी अब तक दोनों निगम 1.5 करोड़ का टेंडर जारी कर चुके हैं। मई और जून के महीने में आउटर ही नहीं शहर के बीचोबीच इलाके पंडरी, कटोरा तालाब, सिविल लाइन, पंचशील नगर, समता कालोनी, चौबे कालोनी, बैजनाथपारा, छोटापारा, संजयनगर, नयापारा, टिकारापारा, शैलेंद्रनगर, छत्तीसगढ़ नगर में बोर का पानी आना पूरी तरह से बंद हो जाता है।
खारुन से रोज 400 क्यूसेक पानी खींचा जा रहा
खारुन नदी के जरिए गंगरेल बांध से रोज 400 क्यूसेक रायपुर लाया जा रहा है। इस पानी को फिल्टर कर पूरे शहर में बांटता है। पानी सप्लाई के सिस्टम पर पिछले पांच साल में 237 करोड़ खर्च किए जा चुके हैं। शहर की 42 टंकियों के जरिए रोज औसतन 200 एमएलडी पानी की सप्लाई की जा रही है। गंगरेल बांध में रायपुर के लिए 3.5 टीएमसी पानी हमेशा रिजर्व रखा जाता है। इसके बावजूद गर्मी के दिनों में शहर के कई इलाके पानी के लिए तरस जाते हैं।
दावा किया जा रहा- अमृत मिशन से दूर होगा संकट
अमृत मिशन के तहत 157 करोड़ खर्च कर शहर में 14 नई टंकियां बनाई गईं। इनमें पानी सप्लाई के लिए 863 किमी पाइपलाइन बिछायी जा चुकी है। फिल्टर प्लांट में 80 एमएलडी का एक नया प्लांट बनाया गया और पुराने प्लांट की क्षमता भी बढ़ाई गई। दावा किया जा रहा है कि शहर में 24 घंटे पानी मिलेगा।
राजधानी को टैंकर मुक्त करने के दावे फेल
2020 तक रायपुर को टैंकर मुक्त करने का दावा किया गया था। अभी भी निगम को गर्मी में किराए पर टैंकर लेकर चलाने पड़ रहे हैं। इस साल भी नगर निगम करीब 30 टैंकर किराए पर ले रहा है। इससे अगले दो महीने तक उन इलाकों में पानी की सप्लाई की जाएगी जहां पर किल्लत है। यानी शहर में टैंकर चलते रहेंगे।
इस तरह चलता है पानी का धंधा
नगर निगम किराए के टैंकरों को प्रति फेरे के अनुसार भुगतान करता है। टैंकरों को अधिकतम ढाई से तीन किमी के दायरे में आने वाले इलाके में पानी सप्लाई करनी होती है। टैंकरों ने कितने फेरे लगाए, कितना पानी वार्डों में पहुंचाया, इसकी मानिटरिंग का कोई सिस्टम नहीं। बिल तय फेरों का बनाया जाता है और वह पास भी हो जाता है। दो महीने के लिए पानी सप्लाई करने के लिए पांच साल पहले तक केवल टैंकरों ठेकेदारों को एक से दो करोड़ तक का भुगतान करता था।
अभी भी लगभग यही हालात हैं। इस साल निगम 25 से 30 टैंकर किराए पर ले रहा है। रायपुर में पानी चोरी की यह भी शिकायत रही है कि पांच पर्ची कटाकर दस से ज्यादा बार टैंकर भरे जा रहे हैं। बाकी टैंकरों के पानी को बेचा जा रहा है। इसे रोकने के लिए नगर निगम ने राजेंद्र नगर टंकी (रिफीलिंग सेंटर) में कैमरे तक लगाए गए। हालांकि यह भी सफल नहीं रहा, क्योंकि कैमरे काम ही नहीं करते।
रैन वाटर हार्वेस्टिंग का सख्ती से पालन करवाया जा रहा है। वाटर सप्लाई के लिए हम अमृत मिशन के बचे हुए काम जल्द पूरे करवा रहे हैं। हाउसिंग बोर्ड की कुछ कालोनियां भी हमने हैंडओवर लिया है। सभी जोन कमिश्नरों को निर्देश दिया गया है कि वे जल विभाग की नियमित मानटिरिंग करें। -