यह किस्सा वर्ष 1996 के लोकसभा चुनाव में दुर्ग संसदीय क्षेत्र का
यह किस्सा वर्ष 1996 के लोकसभा चुनाव में दुर्ग संसदीय क्षेत्र का है। अविभाजित दुर्ग जिले में उस समय गुण्डरदेही विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के ताराचंद साहू विधायक थे। पार्टी ने ताराचंद को दुर्ग जिला भाजपा अध्यक्ष का भी दायित्व सौंपा था।
स्थानीय स्तर पर संगठन के नेताओं ने बैठक कर दुर्ग लोकसभा क्षेत्र से डा. बालमुकुंद देवांगन को भाजपा प्रत्याशी बनाए जाने पर सहमति जताई थी। स्थानीय नेताओं की सहमति के बाद जिला भाजपा अध्यक्ष ताराचंद साहू प्रत्याशी के नाम से हाईकमान को अवगत कराने दिल्ली रवाना हए। इस दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे।
ताराचंद साहू ने उनसे मुलाकात कर दुर्ग संसदीय क्षेत्र से डा. बालमुकुंद देवांगन को भाजपा प्रत्याशी बनाए जाने के फैसले से अवगत कराया। ताराचंद साहू ने यह भी बताया कि यह फैसला दुर्ग जिला भाजपा के नेताओं ने बैठक कर लिया है। इसलिए इनका नाम घोषित कर दिया जाए।
सारी बातें सुनने के बाद लालकृष्ण आडवाणी ने ताराचंद साहू से पूछा कि दुर्ग लोकसभा क्षेत्र में किस समाज की बाहुलता है। इस पर ताराचंद ने बताया कि साहू समाज के लोग अधिक है। यह सुनते ही लालकृष्ण आडवाणी ने उनसे कहा कि साहू समाज की बाहुलता अधिक है तो सांसद का चुनाव तुम क्यों नहीं लड़ लेते।
यह सुनने के बाद ताराचंद साहू स्वयं सांसद का चुनाव लड़ने तैयार हो गए। डा. बालमुकुंद देवांगन ने बताया कि स्थानीय नेताओं के फैसले के मुताबिक वर्ष 1996 के चुनाव में भाजपा से उन्हें ही टिकट मिलना था, लेकिन ताराचंद साहू दिल्ली से टिकट अपने नाम का लेकर आ गए।
वर्ष 1996 के लोकसभा चुनाव में ताराचंद साहू को प्रत्याशी बनाने का फायदा भी भाजपा को मिला। इस संसदीय क्षेत्र से भाजपा को पहली बार जीत भी मिली। चुनाव में ताराचंद साहू को 2,69,450 वोट मिले। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी प्यारेलाल बेलचंदन को 2,43,703 वोट मिले। ताराचंद साहू 25,747 मतों के अंतर से चुनाव जीतकर सांसद निर्वाचित हुए। दुर्ग संसदीय क्षेत्र में वर्ष 1996 से शुरू हुआ भाजपा के जीत का सिलसिला लगातार वर्ष 2009 तक जारी रहा।