शारीरिक संबंधों से इनकार पति पर मानसिक क्रूरता, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने तलाक को दी मंजूरी, दुर्ग जिले का है मामला

शारीरिक संबंधों से इनकार पति पर मानसिक क्रूरता, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने तलाक को दी मंजूरी, दुर्ग जिले का है मामला

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक मामले में अहम फैसला सुनाया है, जिसमें पति के साथ अलग कमरे में रहने वाली पत्नी की अपील को खारिज कर दिया गया। कोर्ट ने इसे मानसिक क्रूरता का मामला मानते हुए पति को तलाक का हकदार ठहराया है। यह मामला दुर्ग जिले का है, जहाँ अप्रैल 2021 में हुई शादी के बाद पत्नी ने पति के चरित्र पर शक करते हुए उससे दूरी बना ली। पत्नी का आरोप था कि पति का किसी अन्य महिला से संबंध है, जिस कारण वह पति के साथ शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करती थी। इसके चलते दोनों के बीच विवाद बढ़ता गया और पति-पत्नी अलग-अलग कमरों में रहने लगे।समाज के कई प्रयासों के बावजूद जब विवाद नहीं सुलझा, तब पति ने फैमिली कोर्ट में हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 13 के तहत तलाक की अर्जी दाखिल की। फैमिली कोर्ट ने पति के पक्ष में फैसला सुनाते हुए तलाक को मंजूरी दी।हालांकि, पत्नी ने इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की और अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को खारिज किया। उसने दावा किया कि पति के आरोप बेबुनियाद हैं और शादी के बाद दोनों ने अच्छे माहौल में साथ समय बिताया। लेकिन बाद में भी समस्या जस की तस बनी रही | हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद फैमिली कोर्ट के आदेश को सही ठहराते हुए पत्नी की अपील को खारिज कर दिया। कोर्ट ने माना कि शादी के बाद एक ही घर में अलग कमरों में रहना और शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करना पति के प्रति मानसिक क्रूरता है, जो तलाक के लिए पर्याप्त आधार है।