भिलाई में 12वीं के छात्र को ब्लैकमेल कर 12 लाख रुपए के जेवर हड़पने का मामला सामने आया
भिलाई में 12वीं के छात्र को ब्लैकमेल कर 12 लाख रुपए के जेवर हड़पने का मामला सामने आया है। छात्र बीड़ी-सिगरेट पीता था और कई बार स्कूल से छुट्टी मार देता था। उसकी नासमझी का फायदा उठाते हुए दो लोगों उससे दोस्ती की। उसके बाद सिगरेट पीने और स्कूल से बंक मारने की पोल उसके घरवालों के सामने खोल देने की धमकी देने लगे।जब छात्र ऐसा न करने के लिए गिड़गिड़ाता तो दोनों ने उसे ब्लैकमेल कर पैसे की डिमांड शुरू कर दी। पैसे ऐंठने के लिए वे उसके घर पहुंचकर सोने गहने ले आए। मामले का पता चलने पर पीड़ित के पिता ने पदुमनगर निवासी अभिषेक सिंह और एवरग्रीन सिटी निवासी प्रियांशु पांडेय के खिलाफ शिकायत की। पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां दोनों को जेल भेज दिया गया। थाना प्रभारी महेश ध्रुव ने बताया कि घटना गत जून की है। पीड़ित के पिता को घर से गहने गायब होने की जानकारी इसी हफ्ते लगी। प्रार्थी ने बताया कि उसकी हथखोज भिलाई -3 क्षेत्र में केमिकल फैक्ट्री है। बेटा रायपुर में 12वीं में पढ़ता है।कुछ साल पहले उसकी दोस्ती अभिषेक सिंह और प्रियांशु पांडेय से हुई। दोस्ती बढ़ी तो वह उनके साथ घूमने लगा। इस दौरान दोनों ने उसे छुपकर सिगरेट भी पीने की लत लगा दी। उसकी इस कमजोरी का दोनों ने फायदा उठाया और पैसे मांगने लगे। बाद में यह राज मां-बाप के सामने खोलने की धमकी देकर ब्लैकमेल करने लगे। जब उसने पैसे नहीं होने की बात कही तो दोनों ने घर में रखे सोने के जेवर लाने कहा।इस क्रम में आरोपी अभिषेक तथा प्रियांशु 18 जून की शाम 6 से 7 बजे के बीच उसके घर पहुंच गए। उसकी पोल नहीं खोलने के एवज में छात्र से एक गोल्ड हार वजनी 84.82 ग्राम, हाथ का सोने का चूड़ा वजनी 87.28 ग्राम और सोने की अंगूठी 4 ग्राम जुमला कीमती 12 लाख रुपए को आलमारी से निकलवाकर ले गए। मामले में दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया है।आरोपियों ने छात्र को ब्लैकमेल कर लिए गए गहनों से गोल्ड लोन भी उठा लिया था। उसकी रकम खर्च भी कर दी। सोने के हार को आरोपी अभिषेक ने मणप्पुरम गोल्ड से 3 लाख 73 हजार लिए। इन पैसों को उसने दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर किए। दूसरे आरोपी प्रियांशु ने सोने के कंगन से मणप्पुरम गोल्ड लोन से 3 लाख 26 हजार का लोन ले लिया। उसने भी यह राशि दूसरे बैंक में ट्रांसफर कर दी। दोनों ने यह राशि खर्च कर ली। (पीड़ित छात्र नाबालिग है, इस कारण उसकी पहचान गुप्त रखी गई है)माता-पिता से अच्छा बच्चों का कोई दोस्त नहीं हो सकता। जब भी ऊंच-नीच आए या इस तरह की विषम परिस्थिति आए, तो किसी और से शेयर करने की बजाय सबसे पहले माता-पिता को ऐसी बातें बतानी चाहिए। वे आपको ऐसी परिस्थिति से बाहर निकाल सकते हैं। कानूनी मदद के अलावा नैतिक रूप से भी साथ खड़े रहेंगे।माता-पिता को भी चाहिए कि वे अपने बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार कर रखें, ताकि वे उनसे बात करने में हिचक महसूस न करें। आजकल बच्चे सोशल मीडिया में ज्यादा रहते हैं। उनके लिए रियलिटी भी सोशल मीडिया बेस्ड हो गई है। वे उसे ही फॉलो करते हैं। ऐसे में ही बच्चे माता-पिता से दूर होकर उनसे कोई भी बात करने से हिचकते हैं। इस केस में शायद ऐसा ही हुआ है। इसलिए जरूरी है कि मां-बाप बच्चों से दोस्तों के साथ चल रही गतिविधियों पर भी बात करें।ऐसे मामलों में बेझिझक पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करानी चाहिए। ऐसा नहीं किया तो बच्चे को लगेगा कि उसने जुर्म किया है। वह हमेशा अपने आप को गुनाहगार समझता रहेगा। जबकि उससे सबकुछ नासमझी में हुआ है। रही बात गोपनीयता की तो पुलिस आजकल नाम उजागर नहीं करती। थाने में या अफसरों से रिक्वेस्ट करने पर नाम ऐसे केस की एफआईआर को सेंसेटिव में डाल दिया जाता है।