चंद्रमा से बनने हैं कई प्रकार के योग

चंद्रमा से बनने हैं कई प्रकार के योग

चंद्रमा पृथ्वी पर सबसे ज्यादा असर डालने वाला ग्रह है। इसका सीधा असर व्यक्ति के मन और संस्कारों पर पड़ता है। इसलिए चंद्रमा से बनने वाले एक-एक योग इतने ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं।

चंद्रमा से तीन प्रकार के शुभ योग बनते हैं- अनफा, सुनफा और दुरधरा इन तीनों में से एक योग भी अगर कुंडली में हो तो व्यक्ति को विशेष शक्ति मिलती है। अगर तीनों ही योग कुंडली में हों तो व्यक्ति जीवन में अद्भुत सफलता पाता है।  

क्या है अनफा योग और इसका प्रभाव क्या होता है?

जब चंद्रमा से पिछले भाव में कोई ग्रह हो तो अनफा योग बनता है।

अगर चंद्रमा से पिछले भाव में सूर्य हो तो यह योग भंग हो जाता है।

इस योग के होने से व्यक्ति को जीवन में खूब सारी सुख सुविधा मिलती हैं।

व्यक्ति खूब सारी यात्राएं करता है और अत्यंत व्यवहार कुशल होता है.

अनफा योग के होने से व्यक्ति राजनीति में भी सफलता पा जाता है।

अगर कुंडली में अनफा योग हो तो किस प्रकार इसका लाभ उठाना चाहिए?

एक चांदी का कड़ा जरूर धारण करें।

घर को ख़ास तौर से शयन कक्ष को साफ़ सुथरा रखें।  

घर में फूल और फूलों की सुगंध का प्रयोग करें।

सुनफा योग क्या है और क्या है इसका प्रभाव?

जब चंद्रमा से दूसरे भाव में कोई ग्रह हो तो सुनफा योग बनता है।  

अगर यह ग्रह सूर्य होगा तो यह योग नहीं बनेगा।

सुनफा योग होने से व्यक्ति को शिक्षा में खूब सफलता मिलती है।

व्यक्ति अत्यंत धनवान होता है और वाणी से सफलता प्राप्त करता है।

सुनफा योग होने से व्यक्ति को प्रशासन के क्षेत्र में खूब सफलता मिलती है।

सुनफा योग होने पर किस प्रकार लाभ उठाना चाहिए?

नशे, झूठ बोलने और कर्ज लेने से बचना चाहिए।

प्रातः काल सौंफ और मिसरी का सेवन करना चाहिए।

नियमित रूप से भगवद्गीता या रामचरितमानस का पाठ करें।

क्या है दुरधरा योग और इसका प्रभाव?

दुरधरा योग से दूसरे और द्वादश भाव में ग्रह हों तो दुरधरा योग बनता है.

इन ग्रहों में सूर्य नहीं होना चाहिए।

दुरधरा योग होने पर व्यक्ति जन्म से ही संपन्न और समृद्ध होता है।

जीवन में किसी भी प्रकार की समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता।

ऐसा योग कभी-कभी व्यक्ति को वैराग्य की ओर भी ले जाता है और व्यक्ति धर्मात्मा होता है।

दुरधरा योग होने पर किस प्रकार इससे लाभ उठाना चाहिए?

धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए और आचरण शुद्ध रखना चाहिए।

नियमित रूप से हल्की सुगंध का प्रयोग करना चाहिए।

चांदी के पात्र से दूध और जल का सेवन करना चाहिए।