30 साल से फरार हत्या के आरोपी को पुलिस ने धर दबोचा, बिल्डर बन पुलिस ने बिछाया जाल

30 साल से फरार हत्या के आरोपी को पुलिस  ने धर दबोचा, बिल्डर बन पुलिस ने बिछाया जाल

 दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने 30 साल से फरार हत्या के आरोपी को कानपुर से गिरफ्तार किया है. पुलिस उपायुक्त (क्राइम) अमित गोयल ने बताया कि 51 साल के आरोपी प्रेम नारायण को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस टीम ने दिल्ली में कैटरर और फिर कानपुर में बिल्डर बनकर नजर रख छापेमारी की।. आरोपी प्रेम नारायण, उसके पिता और उसके चाचा साल 1993 में दिल्ली के नरेला में शंभू दयाल नाम के शख्स की हत्या में शामिल थे।एजेंसी के अनुसार, शंभू दयाल और उसके दो साथी मुन्नी लाल और दया राम ये दोनों प्रेम नारायण पर अपनी बेटी की शादी उत्तर प्रदेश के भिड़ौरा में अपने गांव में करने का दबाव बना रहे थे. जब प्रेम नारायण ने इनकार कर दिया तो बहस होने लगी और उसने शंभू दयाल की हत्या कर दी. जांच के दौरान, प्रेम नारायण, उसके पिता और उसके चाचा को साल 1994 में दिल्ली की कोर्ट ने अपराधी घोषित कर दिया था।कुछ दिन पहले सब इंस्पेक्टर रितेश कुमार को पता चला कि प्रेम नारायण 11 जुलाई को अपने भतीजे की शादी में शामिल होने वाला है  इसलिए सब इंस्पेक्टर कैटरिंग टीम में शामिल हो गए और दिल्ली में शादी समारोह पर नजर रखी। हालांकि आरोपी दिखाई नहीं दिया, लेकिन उसकी पत्नी और बच्चे समारोह में पहुंचे। सब इंस्पेक्टर रितेश ने आरोपी के परिवार पर नजर रखी और पता लगाया कि नारायण कानपुर में रह रहा है और मजदूरी कर रहा है। इंस्पेक्टर मनमीत मलिक के नेतृत्व में सब इंस्पेक्टर रितेश और अन्य अधिकारियों की टीम बनाई गई।टीम कानपुर पहुंची और इलाके की घेराबंदी कर ली, लेकिन आरोपी का पता नहीं लगा. सब इंस्पेक्टर रितेश ने स्थानीय बिल्डरों की मदद से इलाके में काम करने वाले मजदूरों और ठेकेदारों से संपर्क किया, लेकिन प्रेम नारायण सामने नहीं आया और अपने बेटे नितिन को भेज दिया।इसके बाद स्थानीय बिल्डर की मदद से प्रेम नारायण को उसके बेटे के जरिए बुलाया गया. टीम ने बिल्डर के दफ्तर के पास 48 घंटे तक नजर रखी. जब प्रेम नारायण बिल्डर के दफ्तर पहुंचा तो पुलिस टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने जब आरोपी से पूछताछ की तो प्रेम नारायण ने बताया कि शंभू दयाल की हत्या के बाद वह अपने पिता और चाचा के साथ गांव से फरार हो गया और कानपुर पहुंच गया था. वहां मजदूरी करने लगा. उसने अपना वोटर आईडी और राशन कार्ड बदल लिया. अपने पूरे परिवार के साथ कानपुर में रहने लगा. गिरफ्तारी से बचने के लिए उसने गांव में सभी संपर्क बंद कर दिए।