सरकारी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल डीकेएस में अगले 3 माह में किडनी-लीवर ट्रांसप्लांट शुरू हो जाएंगे

सरकारी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल डीकेएस में अगले 3 माह में किडनी-लीवर ट्रांसप्लांट शुरू हो जाएंगे

सरकारी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल डीकेएस में अगले 3 माह में किडनी-लीवर ट्रांसप्लांट शुरू हो जाएंगे। अस्पताल में ऑपरेशन थियेटर तैयार है। डोनर और मरीज के लिए आईसीयू भी बन चुका है। ट्रांसप्लांट के उपकरणों के लिए अब 6 करोड़ स्वीकृत हुए हैं। दो-ढाई महीने में टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद अस्पताल में ट्रांसप्लांट शुरू कर दिए जाएंगे। प्राइवेट में किडनी-लीवर ट्रांसप्लांट में 10 से 25 करोड़ तक खर्च आता है। यहां प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना के तहत फ्री में होंगे।स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने डीकेएस के अफसरों से कहा कि ऑर्गन ट्रांसप्लांट शुरू होना चाहिए। अफसरों ने फंड की कमी बताई तो उन्होंने इसके लिए डीकेएस की स्वशासी समिति से 6 करोड़ स्वीकृत भी कर दिए। अब उन पैसों से आर्गन ट्रांसप्लांट के उपकरणों की खरीदी की जाएगी। डीकेएस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल लगभग 6 साल पहले बनकर तैयार हो चुका है। उसी समय आर्गन ट्रांसप्लांट के लिए दो संयुक्त ऑपरेशन थियेटर बनाए थे।

 डीकेएस अस्पताल प्रशासन इसी हफ्ते टेंडर की प्रक्रिया पूरी करेगा। 45 दिन के भीतर टेंडर की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। इसमें एल-1 वाली कंपनी को टेंडर देकर उपकरण सप्लाई का आर्डर दिया जाएगा। उपकरणों की सप्लाई होते ही ट्रांसप्लांट शुरू करने में कोई तकनीकी दिक्कत नहीं आएगी। डीकेएस में ट्रांसप्लांट करने के लिए तीन यूरोलॉजिस्ट डा. अनुराग यादव, डा. राजेश अग्रवाल और डा. सुरेश सिंह हैं। किडनी का इलाज करने वाली टीम भी है। यहां नेफ्रोलॉजिस्ट डा. वरुण अग्रवाल के साथ अन्य डाक्टर हैं।आयुष्मान योजना से किडनी और लीवर ट्रांसप्लांट के लिए शासन की ओर से अभी 4 और लीवर ट्रांसप्लांट के लिए 18 लाख दिए जा रहे हैं। इसमें किसी भी श्रेणी का मरीज आवेदन कर सकता है। गरीबी रेखा से नीचे आना जरूरी नहीं है। सभी वर्ग के मरीजों को शासन की ओर से सहायता राशि दी जाती है।डीकेएस स्वशासी समिति के फंड में 26 करोड़ रुपए हैं। ये पैसे मरीजों के इलाज से मिलने वाले शुल्क से प्राप्त हुए हैं। इसके अलावा आयुष्मान से इलाज करने पर जो रकम दी जाती है, उसका भी एक बड़ा हिस्सा स्वशासी समिति के फंड में जमा किया जाता है। इस फंड से ही कई बार उपकरण खरीदी का प्रस्ताव दिया गया था। शासन स्तर पर मंजूरी नहीं मिली थी।अंबेडकर अस्पताल में नि: संतान दंपतियों के लिए आईवीएफ सेंटर खोलने की भी योजना है। स्वास्थ्य मंत्री जायसवाल ने बताया कि इस संभावना पर विचार किया जा रहा है। अब जरूरत अत्याधुनिक इलाज की ओर बढ़ने की है। उन्होंने बताया कि इसके लिए एक बार पहले भी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की गई थी।उन्होंने ये भी बताया कि अंबेडकर अस्पताल में आधुनिक पोस्टमार्टम हाउस भी बनाया जाएगा, जिसमें नए उपकरणों के साथ-साथ विशेषज्ञ स्टाफ की नियुक्ति की जाएगी। अंबेडकर अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए नई वर्चुअल मशीन स्थापित की जा रही है। यह मशीन देश में सबसे आधुनिक तकनीक से युक्त होगी और इससे पोस्टमार्टम में देरी नहीं होगी।