राजधानी रायपुर के सिलयारी में रियल बोर्ड पेपर मिल में लाखों पाठ्य पुस्तकें कबाड़ में मिलने के बाद बवाल मच गया
राजधानी रायपुर के सिलयारी में रियल बोर्ड पेपर मिल में लाखों पाठ्य पुस्तकें कबाड़ में मिलने के बाद बवाल मच गया। मामले को लेकर कांग्रेस पूरी तरह से सरकार पर हमलावर है, भ्रष्टाचार की आशंका के साथ कई सवाल खड़े हो गए हैं।इस मामले की पूरी जांच के लिए राज्य शासन ने पांच सदस्यीय जांच समिति भी गठित कर दी है। स्कुल शिक्षा विभाग ने इसको लेकर आदेश भी जारी कर दिया है।सरकार की ओर से पूरे मामले की जांच के लिए सीनियर अधिकारियों की पांच सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है। इसमें एक आईएएस अफसर समेत अन्य वरिष्ठ अफसर शामिल किए गए हैं। जांच समिति में छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के प्रबंध संचालक राजेन्द्र कटारा के अलावा अतिरिक्त संचालक डा. योगेश शिवहरे, सयुंक्त संचालक राकेश पांडेय, महाप्रबंधक प्रेम प्रकाश शर्मा और रायपुर कलेक्टर द्वारा नामांकित जिला प्रशासन का अधिकारी इस कमेटी में होगा।रविवार को इस मामले के खुलासे के बाद पूर्व विधायक विकास उपाध्याय समेत कई समर्थक गोदाम में देर रात तक धरने पर बैठे रहे। उन्होंने आशंका जताई कि धरना से उठने की स्थिति में पेपर मिल संचालक किताबों को ठिकाने लगा सकता है। वहीं जांच से पहले ही साक्ष्य छिपाने और लीपापोती की कोशिश हो सकती है। लगातार दबाव के बाद देर रात वहां तहसीलदार अमले के साथ पहुंचे थे। उन्होंने पूरे पेपर मिल को ही सील कर दिया है।चर्चा है कि पेपर मील की रद्दी में मिली ये किताबें सरगुजा क्षेत्र से यहां बेची गई है, सूरजपुर क्षेत्र से किताबें आने और बिल में भी इसका जिक्र होने की वहां के कर्मचारी ही दबी जुबान में चर्चा कर रहे हैं। हालांकि यह अधिकृत नहीं है और जांच के बाद ही इस मामले का सच सामने आ पाएगा।दरअसल रविवार को रायपुर के सिलियारी में स्थित पेपर मिल के कबाड़ में लाखों किताबें मिली है। इसमें सरकार की ओर से प्रदेश के सभी स्कूलों में बांटी जाने वाले किताबें हैं। सभी किताबें इसी सत्र की हैं। आरोप है कि ये सारी बुक्स पेपर मील में कटिंग के लिए लाई गई थी। किताबों के ढेर को कांग्रेस के पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने देखा। इसके बाद वे फैक्ट्री के सामने ही धरने पर बैठ गए। उन्होंने कहा कि, सरकार ने बुक्स खरीदी और बिना बांटे ही बेच दी।