IIIT के डायरेक्टर को हर छात्र का नाम मुंह जुबानी है याद

IIIT के डायरेक्टर को हर छात्र का नाम मुंह जुबानी है याद

कई बच्चे परिवार से दूर रहकर संस्थान में पढ़ने आते हैं। तब सभी विद्यार्थी एक-दूसरे से अनजान रहते हैं। ऐसे में उनको समझकर और बातचीत कर उनका हौसला बढ़ाया जा सकता है और उनके रुचि के अनुसार उन्हें मार्गदर्शन दिया जा सकता है। ये कहना है नवा रायपुर स्थित अंतरराष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (ट्रिपल आइटी) के निदेशक डा. प्रदीप कुमार सिन्हा का। डायरेक्टर के पद पर एक व्यक्ति के पास संस्थान की बड़ी जिम्मेदारियां होती है, लेकिन अपने व्यस्त समय में से थोड़ा समय निकालकर वे छात्रों के साथ समय व्यतीत करते हैं।छात्रों के साथ डायरेक्टर के संबंध का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि डा. सिन्हा को संस्थान में पढ़ने वाले हर छात्र का नाम मुंह जुबानी याद है। उनके पास “जान-पहचान” नाम पास फाइल, जिसमें प्रत्येक विद्यार्थियों से जुड़ी पूरी जानकारी और रिकार्ड है। ये फाइल वे स्वयं तैयार करते हैं।छात्रों के साथ डायरेक्टर के संबंध का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि डा. सिन्हा को संस्थान में पढ़ने वाले हर छात्र का नाम मुंह जुबानी याद है। उनके पास “जान-पहचान” नाम पास फाइल, जिसमें प्रत्येक विद्यार्थियों से जुड़ी पूरी जानकारी और रिकार्ड है। ये फाइल वे स्वयं तैयार करते हैं।

सिन्हा ने एक उदाहरण से समझाया कि हर व्यक्ति की कौशलता अलग-अलग होती है। जैसे बंदर पेड़ पर स्फूर्ती से चढ़ जाता है, लेकिन अगर हाथी को पेड़ पर चढ़ने कहेंगे तो वह नहीं चढ़ पाएगा। इसी तरह बात अगर पेड़ को गिराने की बात हो तो हाथी इसे बेहतर अंजाम दे सकता है, न कि बंदर। अगर बच्चों को पता चल जाए कि वे किस क्षेत्र में आगे बढ़ सकते हैं तो यह उनके करियर के लिए अच्छा होगा। बच्चों की रुचि को पहचानना परिजन और शिक्षकों काम है, यह चीज हर स्कूल में होना चाहिए।

प्रत्येक बच्चे की कार्यकुशलता अलग-अलग
ट्रिपल आइटी के निदेशक डा. प्रदीप कुमार सिन्हा पहले सेंटर फार डेवलपमेंट आफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (सी-डैक) में थे, जहां उन्होंने सुपरकंप्यूटिंग, ग्रिड कंप्यूटिंग और स्वास्थ्य सूचना विज्ञान के क्षेत्रों में राष्ट्रीय कार्यक्रमों का नेतृत्व किया था। सी-डैक में शामिल होने से पहले, डा. सिन्हा दस वर्षों तक जापान में थे और अत्याधुनिक कंप्यूटिंग प्रौद्योगिकियों पर काम किया।