चावल की बढ़ती कीमतों से परेशान लोगों को महंगाई ने एक और बड़ा झटका दिया
चावल की बढ़ती कीमतों से परेशान लोगों को महंगाई ने एक और बड़ा झटका दिया है। बाजार में तेल पर आयात शुल्क बढ़ने के नाम पर कारोबारियों ने पिछले तीन दिनों में कीमत 20 से 30 रुपए तक बढ़ा दी है। इतना ही नहीं जिन व्यापारियों के पास पुरानी कीमत वाला स्टॉक है वे उसे भी बढ़ी हुई कीमत पर ही इसे बेच रहे हैं। यही हाल चायपत्ती का है। बाजार में खुले में बिकने वाली कुछ िवशेष नाम वाली चायपत्ती की कीमत सीधे एक किलाे में सीधे 40 से 50 रुपए तक बढ़ा दी गई है।साल की शुरुआत में तेल की कीमतों में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई थी। 14 किलो टिपे का रेट 2200 रुपए से भी ज्यादा हो गया था। बाद में स्थिति सामान्य होने के बाद इसी टिपे की कीमत करीब 1600 रुपए हो गई थी। अब फिर कई तरह के ब्रांड में कीमत अचानक से बढ़ा दी गई है। डूमरतराई थोक बाजार में सोया और राइस ब्रान थोक और चिल्हर में 100 से 110 रुपए में बिक रहा था। अब यही तेल 140 रुपए किलो में बेचा जा रहा है। कीर्ति गोल्ड 1430 रुपए में मिल रहा था, अब इसकी कीमत बढ़ाकर 1550 रुपए कर दी गई है। मोहल्लों के किराना दुकान वाले थोक बाजार से 130 रुपए किलो में तेल ले जा रहे हैं और दुकानों में 140 रुपए किलो में बेच रहे हैं। इसके अलावा हरेली तेल की कीमत भी बढ़ा दी गई है।कीमतों में लगातार बढ़ोतरी के बावजूद खाद्य विभाग के अफसर जांच तक करने के लिए नहीं निकलते हैं। इस वजह से कारोबारियों की मनमानी भी बढ़ गई है। बढ़ती हुई कीमतों में जब तक कलेक्टर नाराजगी जाहिर नहीं करते हैं तब तक खाद्य विभाग के अफसरों की टीम तक नहीं बनती है। इस वजह से कारोबारी भी बेखौफ होकर बढ़ी हुई कीमत पर सामान बेच रहे हैं। जिला खाद्य नियंत्रक भूपेंद्र मिश्रा का कहना है कि शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई की जा रही है।पहले बारिश नहीं होने और बाद में तेज बारिश की वजह से चायपत्ती की कीमत भी 60 से 100 रुपए तक महंगी हो गई है। खुले में बिकने वाली चायपत्ती पहले 150 से 200 रुपए किलो तक में मिल जाती थी। लेकिन अभी इसकी कीमत 200, 240 और 300 रुपए किलो तक हो गई है। राजधानी चायपत्ती एसोसिएशन के अध्यक्ष ऋषि अग्रवाल और सचिव यशवंत जैन ने बताया कि असम, सिलिगुड़ी से ही सबसे ज्यादा चायपत्ती छत्तीसगढ़ आती है। पहले वहां बारिश नहीं होने की वजह से फसल खराब हुई। इसके बाद ज्यादा बारिश से फसल को नुकसान पहुंचा। इससे सप्लाई प्रभावित हुई और चायपत्ती की कीमत बढ़ती ही चली गई।केंद्र सरकार ने घरेलू तिलहन कीमतों को समर्थन देने के लिए सभी तरह के खाद्य तेलों पर मूल सीमा शुल्क में बढ़ोतरी की है। 14 सितंबर 2024 से प्रभावी, कच्चे सोयाबीन तेल, कच्चे पाम तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर मूल सीमा शुल्क 0% से बढ़ाकर 20% कर दिया गया है। इससे कच्चे तेलों पर कुल प्रभावी शुल्क 27.5% हो गया है। केंद्र सरकार ने तेलों की कीमत जरूर बढ़ा दी है। लेकिन अभी तक कई तेल कंपनियों ने अपनी कीमत नहीं बढ़ाई है। लेकिन शुल्क बढ़ने के अनुसार कारोबारियों ने पहले ही तेल की कीमत बढ़ा दी है। कई तेल कंपनियां ऐसी हैं जिन्होंने अभी तक नई प्राइस लिस्ट जारी नहीं की है। लेकिन कारोबारियों ने बढ़ी हुई कीमत वसूल करना शुल्क कर दिया है। इसे लेकर लोग विरोध भी कर रहे हैं।