इस मंदिर में दर्शन के बिना नहीं कर सकते अयोध्या में रामलला की पूजा

इस मंदिर में दर्शन के बिना नहीं कर सकते अयोध्या में रामलला की पूजा

मंदिर और मूर्तियों के शहर अयोध्या में लगभग 8000 मठ और मंदिर है. हर मठ-मंदिर की अपनी अलग परंपरा अलग मान्यता है. अयोध्या में प्रभु राम के परम सेवक हनुमान जी का भी मंदिर है. आज हम बात करेंगे प्राचीन सिद्धपीठ हनुमानगढ़ी मंदिर की. प्राचीन सिद्धपीठ हनुमानगढ़ी को अधोध्या का सबसे प्रसिद्ध हनुमान मंदिर माना जाता है. हनुमानगढ़ी मंदिर की स्थापना करीब 300 साल पहले स्वामी अभयराम जी के निर्देश पर शुजाऊद्दौला ने किया था.सरयू नदी के तट पर स्थित इस मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को 76 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं. कहते हैं यहां बजरंगबली के दर्शन किए बिना रामलला की पूजा अधूरी मानी जाती है. मान्यता है कि हनुमानगढ़ी मंदिर में पुजारी को साक्षात पवन पुत्र बजरंगबली दर्शन देते हैं.

दरअसल, हनुमान चालीसा में गोस्वामी तुलसीदास ने भी लिखा है कि “राम दुआरे तुम रखवारे, होत न आज्ञा बिनु पैसारे” यानि भगवान राम के दर्शन के पहले आपको हनुमान जी से आज्ञा लेनी होगी. कलयुग में हनुमान जी को ऐसा देवता माना जाता है. जिनकी पूजा आराधना करने से जीवन में आए तमाम तरह की बाधा भी समाप्त होती है. यही वजह है की अयोध्या की सिद्ध पीठ हनुमानगढ़ी पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु प्रतिदिन दर्शन पूजन करके अपने आप को धन्य मानते हैं.

300 साल पहले बना था मंदिर

इतना ही नहीं भगवान राम की जन्म स्थली अयोध्या में स्थित हनुमान जी का पौराणिक मंदिर हनुमानगढ़ी सरयू नदी के तट के सामने ऊंचे टीले पर स्थित है. कहा जाता है इस मंदिर की स्थापना 300 साल पहले स्वामी अभय रामदास जी महाराज के निर्देश पर शुजाऊद्दौला ने किया था. हालांकि हनुमानगढ़ी मंदिर को लेकर कहानी बहुत लंबी है लेकिन ऐसी मान्यता भी है कि जब प्रभु राम अपने धाम को जाने लगे तो हनुमान जी को यहां का कार्यभार सौंप दिया था.

कैसे हुआ मंदिर का निर्माण?

अयोध्या के वरिष्ठ संत करपात्री जी महाराज बताते हैं कि हनुमानगढ़ी में हनुमान जी महाराज अयोध्या के राजा के रूप में विराजमान हैं. जब प्रभु राम अपने धाम को जाने लगे तो हनुमान जी को भगवान राम ने यहां का राजा बनाया था. हनुमानगढ़ की स्थापना को लेकर कहा जाता है कहते हैं यहां जब नवाब शुजाऊद्दौला के शहजादे गंभीर बीमार हुआ तो चिकित्सकों ने भी हाथ टेक दि थे. कहते हैं कि जब अभयराम ने कुछ मंत्र पढ़कर हनुमानजी के चरणामृत का जल छिड़का नवाब के बेटे पर छिड़का तो उसकी सांसे लौट आईं.नवाब ने इसे चमत्कार माना और अभयराम जी से हनुमानगढ़ी बनवाने की बात कही

अयोध्या की रक्षा करते हैं अंजनी पुत्र हनुमान

मान्यता है कि हनुमान जी के नाम लेने से संसार के सारे कष्ट दूर भी हो जाते हैं. करपात्री जी महाराज में बताया कि अयोध्या को बचाने और प्रभु राम की सेवा करने के लिए हनुमान जी का अहम योगदान है. एक बार की घटना है जब आतंकवादी ने अयोध्या पर हमला कर दिया था तो हनुमान जी ने ही अयोध्या की रक्षा की थी.

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