इसलिए ईश्वर को प्रकाश के रूप में बताया जाता है
हमें हमेशा ईश्वर को प्रकाश के रूप में बताना होता है, क्योंकि प्रकाश से आप देखते हैं, प्रकाश से हर चीज स्पष्ट होती है। लेकिन जब आपका अनुभव बुद्धि की सीमाओं को पार करना शुरू करता है, तब हम ईश्वर को अंधकार के रूप में बताने लगते हैं। आप मुझे यह बताएं कि इस अस्तित्व में कौन ज्यादा स्थायी है? कौन अधिक मौलिक है, प्रकाश या अंधकार? निश्चित ही अंधकार। शिव अंधकार की तरह सांवले हैं। क्या आप जानते हैं कि शिव शाश्वत क्यों हैं? क्योंकि वे अंधकार हैं। वे प्रकाश नहीं हैं। प्रकाश बस एक क्षणिक घटना है। अगर आप अपनी तर्क-बुद्धि की सीमाओं के अंदर जी रहे हैं तब हम आपको ईश्वर को प्रकाश जैसा बताते हैं। अगर आपको बुद्धि की सीमाओं से परे थोड़ा भी अनुभव हुआ है, तो हम ईश्वर को अंधकार जैसा बताते हैं, क्योंकि अंधकार सर्वव्यापी है।
अंधकार की गोद में ही प्रकाश अस्तित्व में आया है। वह क्या है जो अस्तित्व में सभी चीजों को धारण किए हुए है? यह अंधकार ही है। प्रकाश बस एक क्षणिक घटना है। इसका स्रोत जल रहा है, कुछ समय के बाद यह जलकर खत्म हो जाएगा। चाहे वह बिजली का बल्ब हो या सूरज हो। एक कुछ घंटों में जल जाएगा, तो दूसरे को जलने में कुछ लाख साल लगेंगे, लेकिन वह भी जल जाएगा।