सिंगर प्रभा अत्रे का दिल का दौरा पड़ने से निधन, 92 की उम्र में ली आखिरी सांस

सिंगर प्रभा अत्रे का दिल का दौरा पड़ने से निधन, 92 की उम्र में ली आखिरी सांस

मशहूर शास्त्रीय गायिका प्रभा अत्रे हमारे बीच नहीं रहीं। शनिवार सुबह गायिका का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उनकी उम्र 92 वर्ष थी। हार्ट अटैक के बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। दिग्गज गायिका हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के किराना घराने से जुड़ी थीं। संगीत के क्षेत्र में योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा तीनों प्रतिष्ठित पद्म पुरस्कारों- पद्म विभूषण, पद्म श्री और पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका को उस वक्त दिल का दौड़ा पड़ा, जब वे पुणे स्थित अपने आवास पर सो रही थीं। तकलीफ महसूस होने के बाद उन्हें तुरंत नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, जहां सुबह साढ़े पांच बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। सूत्रों के मुताबिक, प्रभा अत्रे के परिवार के कुछ करीबी सदस्य विदेश में रहते हैं। परिवारीजनों के आने के बाद गायिका का अंतिम संस्कार किया जाएगा।

प्रभा अत्रे का जन्म 13 सितंबर 1932 को पुणे में हुआ। वे बहुमुखी प्रतिभा की धनी थीं। एक शास्त्रीय गायिका होने के अलावा, उन्होंने एक शिक्षाविद, शोधकर्ता, संगीतकार और लेखिका के रूप में भी शानदार काम किया। विज्ञान और कानून में स्नातक प्रभा अत्रे ने संगीत में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की थी।

गायिका को जनवरी 2022 में देश के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। इससे पहले उन्हें 1990 में पद्म श्री पुरस्कार और 2002 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। वर्ष 1991 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया। इसके अलावा उन्हें राष्ट्रीय कालिदास सम्मान, टैगोर अकादमी रत्न पुरस्कार, दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार, हाफिज अली खान जैसे पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया।
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प्रभा अत्रे ने भारतीय शास्त्रीय गायन संगीत को दुनियाभर में लोकप्रिय बनाने में अपना विशेष योगदान दिया। वे खयाल, ठुमरी, दादरा, गजल, गीत, नाट्यसंगीत और भजन जैसी कई संगीत शैली में सक्षम थीं। प्रभा अत्रे ने गुरु-शिष्य परपंरा में संगीत प्रशिक्षण लिया था। उन्होंने किराना घराना के सुरेशबाबू माने और हीराबाई बड़ोदकर से शास्त्रीय संगीत सीखा।