स्वर्ण जयंती महोत्सव पर अलग अलग समाज के पदाधिकरियों द्वारा की जा रही है बाबा रामदेव जी की आरती

स्वर्ण जयंती महोत्सव पर अलग अलग समाज के पदाधिकरियों द्वारा की जा रही है बाबा रामदेव जी की आरती

दुर्ग।श्री बाबा रामदेव मंदिर समिति गंजपारा द्वारा द्वारा स्वर्ण जयंती महोत्सव के उपलक्ष्य पर दिनाँक 4 से 15 सितंबर तक प्रतिदिन अलग अलग समाज के पदाधिकारियों द्वारा श्री बाबा रामदेव मंदिर में उपस्थित होकर बाबा की महाआरती की जा रही है, आयोजन को सफल बनाने हेतु पूर्व में भी सकल समाज द्वारा सभी कार्यक्रमों में अपनी उपस्थिति दी जा रही है, प्रतिदिन आरती में सकल समान के सैकड़ों धर्मप्रेमी उपस्थित हो रहे है।
   आज की आरती में श्री कच्छ गुर्जर गुजराती समाज श्री साई मंदिर समिति कसारडीह श्री खंडेलवाल समाज के समस्त पदाधिकारी एवं सदस्यगण उपस्थित होकर अपने हाथों से श्री बाबा रामदेव जी की आरती किये एवं अयोजन कि प्रशंशा किये एवं सभी ने बाबा रामदेव जी कथा का लाभ लिए।
   स्वर्ण जयंती महोत्सव के उपलक्ष्य पर दुर्ग जिले में पहली बार आयोजित बाबा रामदेव की कथा में वृंदावन से आये प्रसिद्ध कथावाचक श्याम देव शास्त्री जी ने बाबा रामदेव जी के जन्मोत्सव एवं विविध लीलाओं का वर्णन किया, आज से कथा में कलकत्ता के मशहूर कलाकारों द्वारा प्रतिदिन अलग अलग रूपों में एवं बाबा रामदेव जी की सभी लीलाओं को सुंदर एवं आकर्षित रूप से झांकी दिखाई जावेगी,
    मंदिर में स्वर्ण जयंती महोत्सव पर आज विशेष रूप से धुलिया महाराष्ट्र से आये पंडित राजीव कृष्ण जी महाराज जी उपस्थित हुए, जिनका सम्मान समित्ति द्वारा साल एवं श्रीफल देकर किया गया माहेश्वरी पंचायत के अध्यक्ष अशोक राठी एवं मन्दिर समित्ति के अध्यक्ष मुकेश राठी द्वारा पंडित राजीव कृष्ण जी महाराष्ट्र से आये हुए महाराज जी को प्रतीक चिन्ह मोमेंटो भेंट किया गया।
  आज कथा के चौथे दिवस कथा वाचक श्याम देव शास्त्री वृंदावन ने कहा कि केवल ज्ञान ही एक ऐसा अक्षय तत्त्व है, जो कहीं भी किसी अवस्था और किसी भी काल में मनुष्य का साथ नहीं छोड़ता। उन्होंने कहा कि मन आपका है। आप इसे जहाँ चाहें लगाएं। चाहें तो इसे प्रभु भक्ति में समर्पित करे या चाहें तो विषय भोगों में लगा लें। मन की प्रकृति नीच है। इसे केवल बुरे कर्म ही अच्छे लगते हैं। यह जानबूझ कर अमृत को त्याग हर प्रकार की विषय-वासना में लिप्त रहता है। मन वासनाओं का मुरीद है। ध्यान, सत्संग और सिमरन इसके शत्रु हैं। यह परमात्मा से दूर भागता है। अगर जीवन में सुख शान्ति चाहिए, आनन्द चाहिए, उत्सव चाहिये तो परमात्मा ही एक सहारा है।
आज की कथा में कथा के मुख्य यजमान रश्मि जितेंद्र राठी एवं रश्मि चांडक उषा राठी टावरी वंजु राठी मनीषा राठी माया राठी गीता भूतड़ाप्रीति राजगढ़िया सिंपल राठी पूनम यादव एकता यादव कविता खण्डेलवाल सुमन जोशी पुष्पा राठी निशा राठी शकुन देवी दुबे चंदा शर्मा गायत्री शर्मा लता शर्मा प्रभा शर्मा भाग्यश्री साबू प्रीति साबू शीतल मंत्री कंचन भूतड़ा सुप्रिया भूतड़ा रीना खंडेलवाल रेखा शर्मा एवं सैकड़ों धर्मप्रेमी उपस्थित थे।