हाईकोर्ट के निर्देश पर बना गार्डन, तहसीलदार ने इसे हटाने किया फरमान जारी कलेक्टर को ज्ञापन सौंप जारी आदेश को निरस्त करने की मांग
भिलाई। रबिन्द्र निकेतन हुडको कालीबाड़ी के सामने खाली जमीन को लेकर चल रहा विवाद किसी से छिपा नहीं है। हाईकोर्ट के निर्देश पर लाखों रुपए खर्च कर खाली जमीन पर गार्डन का निर्माण किया गया है। इस मामले में अब एक नया मोड़ आ गया है। अब तहसीलदार ने इस जमीन पर बने गार्डन को 7 दिन के अंदर हटाने का निर्देश जारी किया है। मजे की बात है कि तहसीलदार ने 3 दिसंबर को जारी आदेश में हाईकोर्ट के गलत याचिका नंबर का उल्लेख करते हुए आदेश जारी किया था। जब उन्हें गलती का आभास कराया गया तो उनके द्वारा 10 दिसंबर को गलत याचिका नंबर को सुधारते हुए अब नया नोटिस जारी किया गया। वहीं हुडको कालीबाड़ी समिति ने कलेक्टर, तहसीलदार और नगर निगम भिलाई आयुक्त को हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए जारी आदेश को निरस्त करने की मांग की है। मंदिर समिति के पदाधिकारियों द्वारा जिला प्रशासन को हाईकोर्ट से पारित आदेश को भी ज्ञापन के साथ संलग्न किया गया है। हालांकि हाईकोर्ट में अभी भी सुनवाई जारी है।
हुडको कालीबाड़ी के जनरल सेक्रेटरी रूपक दत्ता ने बताया कि कुछ लोगों द्वारा हाईकोर्ट में शिकायत की गई थी कि जमीन पर अवैध कब्जा किया जा रहा है। दोनों पक्षों के सहमति के बाद हाईकोर्ट के निर्देश् पर खाली जमीन में गार्डन का निर्माण और फेंसिंग किया गया है। न्यायालय के निर्देश पर इसका नक्शा भी न्यायालय में प्रस्तुत किया गया है। वहीं अब तहसीलदार ने अचानक एक नोटिस जारी करते हुए 7 दिन के भीतर इस गार्डन को हटाने की बात कही है जो समझ से परे है। रूपक दत्ता ने यह भी बताया कि जब गार्डन का निर्माण हो गया है ऐसे में विरोधी पक्ष के कुछ लोगों द्वारा जिला प्रशासन को गुमराह करने का काम किया जा रहा है।
हुडको कालीबाड़ी के जनरल सेक्रेटरी रूपक दत्ता ने कलेक्टर और तहसीलदार को सौंपे गए ज्ञापन में कहा है कि हुडको निवासी देवेन्द्र जंघेल, शंभूशरण सिंह एंव अन्य व्यकित्यों द्वारा उच्च न्यायालय में एक याचिका WP(C) no. 4606/2024 प्रस्तुत कर यह सहायता चाही गई कि रविन्द्र निकेतन कालीबाडी हुडको द्वारा कालीबाडी के खुले स्थल पर किये जा रहे अतिक्रमण को रोका जाये एंव वहीं सरकारी भूमि पर बनी इमारत की तालाबंदी की जाये । यहाँ यह उल्लेख करना आवश्यक है कि याचिकाकर्ता ने अपनी उक्त याचिका में इस तथ्य को माननीय उच्च न्यायालय से छिपाया गया उनके द्वारा प्रस्तुत एक अवमानना याचिका नं. 1018/2024 में न्यायालय ने रविन्द्र निकितेन के पदाधिकारियों को उक्त सरकारी भूमि जो कि गार्डन के लिये चिहिन्त है पर अपने व्यय से एक उद्यान का निर्माण करने और वृक्षारोपण करने हेतु आदेशित किया था। उच्च न्यायालय द्वारा उक्त याचिकाकर्ताओं की सहमति से उद्यान बनाने का आदेश पारित किया था। यह आदेश याचिका नं. 1018/2024 में 22 अगस्त 2024 को पारित किया गया था। वहीं 9 सितंबर 2024 को पारित आदेश में उच्च न्यायालय ने उक्त याचिकाकर्ताओं को गार्डन के फेंसिंग कार्य में कोई बाधा नहीं डालने का निर्देश दिया था।
कलेक्टर को सौंपे गए ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि हाईकोर्ट से पारित आदेश से स्पष्ट है कि हुडको की इस खाली भूमि पर उच्च न्यायालय के आदेश एवं याचिकाकर्ताओं की सहमति के पश्चात हमारे द्वारा अपने व्यय से गार्डन का निर्माण किया गया है और इसकी सुरक्षा एवं उचित संधारण के लिये पोल लगाकर फेंसिंग की गई है अर्थात हमारे द्वारा उच्च न्यायालय के आदेश का पालन किया गया है। किसी भी प्रकार का कोई अतिक्रमण अपने हित के लिये नहीं किया गया है। उक्त उद्यान का उपयोग आज समस्त रहवासियों द्वारा स्वतंत्र रुप से किया जा रहा है।
तहसीलदार पर लगाया गलत आदेश पारित करने का आरोप
रुपक दत्ता ने कलेक्टर को सौंपे ज्ञापनप में कहा है कि याचिका क्रमांक डब्ल्यू (सी) नं. 4606/2024 में पारित आदेश दिनांक 13/11/2024 में कलेक्टर एवं आयुक्त नगर निगम भिलाई को यह स्पष्ट निर्देश दिया गया था कि याचिकाकर्ताओं के अभ्यावेदन पर विचार कर उसे निराकृत करें। न्यायालय ने अपने आदेश में यह स्पष्ट किया है कि न्यायालय द्वारा गुण दोष पर कुछ भी व्यक्त नहीं किया गया है। यह संबंधित प्राधिकारी (कलेक्टर एवं आयुक्त) को अभ्यावेदन पर गुण दोष पर निर्णय लेने एंव कार्य करने कहा है, लेकिन इस प्रकरण में तहसीलदार नजूल ने आदेश दिनांक 13/11/2024 की गलत व्याख्या कर एवं याचिका नं. 1018/2024 में पारित आदेशों की अवहेलना करते हुए बिना हमें सुनवाई का अवसर दिये मनमाने तरीके से आदेश दिनांक 03/12/2024 को पारित किया है। जबकि तहसीलदार नजूल को उक्त आदेश पारित करने का माननीय न्यायालय ने कोई निर्णय अपने आदेश दिनांक 13/11/2024 में नहीं दिया है।
गलत याचिका पर तहसीलदार ने जारी किया नोटिस
तहसीलदार नजूल द्वारा पारित आदेश दिनांक 3.12.2024 में लेख किया गया है कि प्रकरण से संबंधित याचिका क्रमांक 1339/2024 उच्च न्यायालय बिलासपुर में विचाराधीन है जो कि पूर्णत गलत जानकारी है एवं इस प्रकरण से सबंधित नहीं है। याचिका क्रमांक 1339/2024 दिनांक 13/11/2024 को नरेन्द्र कुमार, बोदरी, बिलासपुर के द्वारा डॉ. प्रेमसागर मिश्रा, चेयरमैन कम प्रबंध निदेशक, साउथ ईस्टन कोल फील्ड लिमिटेड सीपत रोड बिलासपुर एव अन्य के विरुद्ध दायर किया गया एवं दिनाक 22/11/2024 को पंजीकृत किया गया है। इस तरह से हुडको निवासी देवेन्द्र जंघेल, शंभूशरण सिंह एव अन्य व्यकित्यों द्वारा तहसीलदार नजूल दुर्ग को गलत जानकारी प्रदान कर गलत तरीके से आदेश दिनांक 03/12/2024 को जारी करा लिया गया है। यहाँ यह भी बताना उचित होगा कि याचिकाकर्ताओं ने स्वंय सरकारी भूमि पर कब्जा कर रखा है और अवैध रुप से टावर लगा रखा है जिसकी शिकायत कई बार किये जाने के पश्चात भी संबधित अधिकारियों द्वारा उनके विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है।