स्वास्थ्य विभाग के प्रभारी सदस्य संजू नेताम ने बीजेपी के पार्षदों के रवैए पर उठाया सवाल, कहा एस्टीमेट ही नहीं और दबाव में टेंडर पास करने की जल्दबाजी क्यों?

स्वास्थ्य विभाग के प्रभारी सदस्य संजू नेताम ने बीजेपी के पार्षदों के रवैए पर उठाया सवाल, कहा एस्टीमेट ही नहीं और दबाव में टेंडर पास करने की जल्दबाजी क्यों?

रिसाली। रिसाली नगर निगम में चल रहे सफाई टेंडर के घमासान पर महापौर परिषद के प्रभारी सदस्य संजू नेताम ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर भाजपा पार्षदों को आड़े हाथों लिया है और कहा कि कई पार्षदों को ना सिर का पता ना पैर का लेकिन दबाव में टेंडर पास कर लिया। यह ठीक वैसा ही है जैसे कोई लकड़हारा जिस पेड़ की शाखा पर बैठा है उसी को काट रहा हो।
उन्होंने विज्ञप्ति में उदाहरण देकर समझाया है कि वार्ड 1 जहां हमारे साथी बीजेपी सदस्य सविता धवस हैं उनके ग्रुप में कुल 8 वार्ड शामिल हैं. (1,2,3,4,5,22,23 और 24)  पूरे आठ वार्डो का खर्चा 3 करोड़ 15 लाख है 8 वार्ड में इस पैसा को विभक्त करेंगे तो लगभग 39 लाख रुपए वार्षिक होता है। इसको 12 महीने में विभक्त करेंगे तो 1 महीने का 3,28000 रुपए बनता है। आप  बीजेपी सदस्य सविता ढवस को पूछिए कि क्या निगम प्रशासन लगभग 328000 खर्च करती है सफाई में? जवाब मिल जाएगा।
दूसरा पहलू देखिए अब सफाई एजेंसी यदि वार्ड एक में 10 कर्मचारी रखती है तो उसका वेतन लगभग 1 लाख से 120000 रुपए के आसपास होता है लेकिन 208000 का क्या खर्च हो रहा है इसे भाजपा पार्षद ही नहीं जान रहे हैं।
अर्थात लगभग 208000 का घोटाला हर महीने सफाई एजेंसी करेगी इसको ऐसा समझ सकते हैं। 
 ई रिक्शा जेसीबी डंपर ट्रैक्टर आदि का खर्च भी जोड़ें तो महीने का 20 से 30 हजार से अतिरिक्त नहीं होगा ऐसे में डेढ़ लाख से ऊपर का घोटाला प्रतिमाह एक ही वार्ड से हो जाएगा। बाकी आप आराम से समझ सकते हैं। 
प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताने का उद्देश्य यह है कि महापौर परिषद में यह प्रस्ताव ही नहीं आया नहीं हमें कोई एस्टीमेट उपलब्ध कराया गया तो क्या रिसाली नगर निगम बिना एस्टीमेट के काम कर रहा है और क्या यह भाजपा पार्षदों को मंजूर है।
*बात नियम की नगर पालिक एक्ट के उल्लंघन की*
दरअसल में 23 दिसम्बर को महापौर परिषद में ही प्रस्ताव नहीं लाया गया जो एजेंडा हमको दिया गया था उसमें सफाई का एजेंडा था ही नहीं। बैठक अपरिहार्य कारणों से निरस्त होती है और यह परिहार के कारण क्या है हमें ही नहीं पता है। फिर 3 जनवरी को बैठक बुलाई जाती है। जिसमें षडयंत्र पूर्वक यह मुद्दा रख दिया गया इसको हमने इसके एस्टीमेट देखने और टेंडर में ढेर सारी खामियों के चलते विचारणीय विषय में डाला उसके बाद तत्काल सामान्य सभा बुलाने की तैयारी हो गई, 3 तारीख को यदि हमें एजेंडा दिया गया तो इस हिसाब से 13 तारीख के बाद ही सामान्य सभा होना था लेकिन आनन फानन में नगर पालिका निगम अधिनियम का उल्लंघन कर सामान्य सभा बुला लिया गया जिसके लिए महापौर को ही पूछा नहीं गया था। हमारे पास 24 दिसंबर को निगम सचिवालय ने कोई लेटर नहीं भेजा है। यह जानकारी हर पार्षदों को होना चाहिए लेकिन सामान्य सभा में हमारी आवाज को दबा दिया गया और हमारी इन्ही सच्चाई तो यह है कि भाजपा के पार्षदो के आवाज को किसी विशेष जगह से म्यूट कर दिया गया था। इस पूरे मामले में भाजपा के पार्षदों के लिए बेहतर ये रहा कि वे सभी इस टेंडर में कमीशन के हिस्सेदार नहीं है। कमीशन कौन ले रहा है और किसका इसमें निजी हित जुड़ा है यह सब जान गए हैं।
 *शहर सरकार भ्रष्ट या बीजेपी के पार्षद भ्रष्ट*
आज स्थिति यह है कि नियम कानून को ताक में रखकर अधिकारी मनमानी कर रहे हैं इसका विरोध किया जा रहा है लेकिन बीजेपी के साथी पार्षद इसे शासन का विरोध समझ रहे हैं जबकि ऐसा नहीं है रिसाली नगर निगम के पास वह आय ही नहीं होती जिसका टेंडर पास किया गया है यह रिसाली की जनता के साथ बहुत बड़ा धोखा आज भाजपा के पार्षदों ने कर डाला है। शहर सरकार भ्रष्ट के पोस्टर लेकर बीजेपी के पार्षद सभागार में आए थे लेकिन वह जानते हैं कि शहर सरकार भ्रष्ट है कि भाजपा के पार्षद इस भ्रष्टाचार में शामिल हो गए हैं उन्हें सब पता है। 
*कमीशन का खेल उजागर हो गया*
जो बीजेपी के पार्षद हर टेंडर का विरोध करते थे हर काम का विरोध करते थे मेरे साथ में कई बार ऐसा वाक्या हुआ है जब बीजेपी के पार्षद मेरा भी साथ देते थे क्योंकि मैं रिसाली निगम के हित में लड़ता आया हूं लेकिन आज बीजेपी के पार्षदों को सांप सूंघ गया था या किसी ने सबका हाथ मुंह बांध दिया था बीजेपी के पार्षदों ने यह बता दिया है कि पैसों के सामने या सत्ता सरकार के सामने सब बातें बेमानी है। बीजेपी के पार्षदों को आज यह पता चल गया है कि कमीशन कहां जा रहा है और इस खेल में कौन शामिल है हम पर इल्ज़ाम तो केवल खानापूर्ति था।